Posted on 29 March 2010 by admin
देहरादून – नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा सूचना आयोग का फैसला रद किए जाने के बाद बहुचर्चित पैसिफिक होटल नक्शा प्रकरण में अब नया मोड़ आ गया है। सूचना आयोग की डबल बेंच मामले की फिर से सुनवाई करेगी।
फरवरी 09 में राज्य सूचना आयोग ने तय समयावधि में पैसिफिक होटल के नक्शे की प्रति न देने पर एमडीडीए को आदेश दिया था कि वह प्रार्थी डा. प्रदीप दत्ता को पचास हजार रुपये मुआवजा दे। इसी मामले में आयोग ने पॉवर कॉरपोरेशन व उत्तराखंड जलसंस्थान के डीम्ड पी.आई.ओ पर भी दस-दस हजार का जुर्माना ठोका था। आयोग के फैसले से असहमत होते हुए एम.डी.डी.ए ने मुख्य सूचना आयुक्त डा. आरएस टोलिया के आदेश के विरूद्ध नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आयोग की सिंगल बैंच द्वारा फैसला किए जाने के कारण हाईकोर्ट ने आयोग के इस निर्णय को रद कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि आयोग की एकल पीठ का फैसला मान्य नहीं होगा। मुख्य सूचना आयुक्त डा. आरएस टोलिया ने बताया कि आयोग ने मामले की दोबारा सुनवाई करने का फैसला लिया है। अब आयोग की डबल बैंच मामले की सुनवाई करेगी। सुनवाई की तिथि भी निश्चित कर दी गई है। आयोग की ओर से एम.डी.डी.ए व प्रार्थी डा. प्रदीप दत्ता को फिर से नोटिस भेजे गए हैं।
2008 में सुभाष रोड निवासी डा. प्रदीप दत्ता ने सूचना कानून के तहत एम.डी.डी.ए से पैसिफिक होटल के नक्शे की प्रति मांगी थी। एम.डी.डी.ए निश्चित समयावधि में डा. दत्ता को सूचना नहीं दे पाया था। सूचना आयोग से मिली फटकार के बाद एम.डी.डी.ए उपाध्यक्ष ने दो कर्मचारियों को लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था।
Posted on 27 March 2010 by admin
देहरादून – राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने सूचनाएं देने में देरी, के दो अलग-अलग मामलों में पौड़ी और यमकेश्वर के खंड शिक्षा अधिकारी (बी.ई.ओ) कार्यालयों पर एक-एक हजार रुपये का हर्जाना ठोका है।
नटराज चौक ऋषिकेश निवासी किशोर मैठाणी ने अप्रैल 09 में जिला शिक्षा अधिकारी (डी.ई.ओ) दफ्तर से कुछ सूचनाएं मांगीं। जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें पौड़ी जिले के सभी बी.ई.ओ को अंतरित कर दिया। जब विभागीय अपील के बावजूद पौड़ी और यमकेश्वर के बी.ई.ओ से समय पर सूचना नहीं मिली तो किशोर मैठाणी ने सूचना आयोग में अलग-अलग अपील कर दी। खंड शिक्षा अधिकारी व विभागीय अपीलीय अधिकारी (जिला शिक्षा अधिकारी) सूचना आयोग को विलंब का उचित कारण नहीं बता सके।
हालांकि यमकेश्वर के खंड शिक्षा अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने यू.पी.सी से सूचनाएं भेज दी थी लेकिन किशोर मैठाणी का कहना था कि उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने दोनो खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों को विलंब का दोषी मानते हुए आदेश दिया कि वह अपीलार्थी को 10 दिन के भीतर एक-एक हजार रुपये मुआवजा उपलब्ध कराए और इसकी सूचना आयोग को भी दे।
Posted on 27 March 2010 by admin
सुलतानपुर(उत्तर प्रदेश)– राज्य सूचना आयुक्त सुभाश चन्द्र पाण्डेय आज जिले के सभी विभागों के जन सूचना अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक जिला कलेक्टेट के मीटिंग हाल किया। जिसमें जनता के द्वारा मांगी गई सूचना के बारे में सूचना न मुहैया कराने पर कड़ी फटकार लगायी। अपराह्न एक बजे राज्य सूचना आयुक्त ने प्रेस से मुखातिब हुए ।
प्रेस वार्ता में श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रत्येक विभाग के जन सूचना अधिकारी को 30 दिन के अन्दर मांगी गई सूचनाओं को उपलब्ध कराना आवश्यक होता है। यदि सम्बन्धित विभाग मांगी गई सूचनाओं को 30 दिन के अन्दर उपलग्ध नहीं कराता है तो अपीलीय अधिकारी को इसकी शिकायत कर सकता हैं, अपीलीय अधिकारी के यहॉ से भी यदि 30 दिन के अन्दर सूचना नही उपलब्ध होती है तो राज्य सूचना आयोग को इस प्रकरण पर शिकायत की जा सकती है। पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर सूचना न उपलब्ध कराने के बारे में क्या कोई दण्डात्मक कार्यवाही का विधान है तो श्री पाण्डेय ने बताया कि सूचना न उपलब्ध करवाने पर जन सूचना अधिकार की धारा 20 के अन्र्तगत सम्बन्धित अधिकारी को रूप्या 250 प्रति दिन के हिसाब और अधिकतम रू0 25000 तक दण्ड दिया जा सकता है। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि सुलतानपुर जनपद जन सूचना के तहत शिकायत इस समय कुल 1253 वाद राज्य सूचना आयोग में हैं जिसमें ग्राम पंचायत अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को राज्य सूचना आयोग ने नोटिस भेजा है। दण्ड देने का चार चरण निश्चित किया गया है।
प्रथम दृश्टया सम्बन्धित अधिकारी को राज्य सूचना आयोग से नोटिस भेजी जायेगी, दसरे चरण में दण्डित करने की नोटिस भेजी जायेगी, तीसरे चरण में दण्डित करने की सूचना दी जायेगी और अन्त में दण्डादेश पारित कर दिया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
Posted on 26 March 2010 by admin
सूचना आयोग ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना किया। अधिकारी ने का मांगी गई सूचना का जवाब देने में देरी की थी।
शिव बाबू की ओर से यह याचिका पिछले वर्ष 15 अक्टूबर को दायर की गई थी। शिव बाबू पकड़े गए अवैध साइकिल रिक्शों की संख्या और दिल्ली नगर निगम के रिक्शा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या के बारे में जानकारी चाहते थे। दिल्ली नगर निगम के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) ने इस याचिका पर एम.सी.डी. एक अधिकारी महेश शर्मा से मदद मांगी। शर्मा ने 18 जनवरी 10 को सूचना उपलब्ध कराई और वह भी अधूरी सूचना।
जन सूचना सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने अपने आदेश में कहा है आयोग ने शर्मा से देरी का कारण जानना चाहा तो एम.सी.डी. अधिकारी ने कहा कि वह बहुत व्यस्त हैं और उन्हें अवैध रिक्शों को पकड़ने के लिए क्षेत्र में भी जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस काम के प्रबंधन के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास कर्मचारियों की कमी थी। सूचना आयुक्त ने समय से सूचना उपलब्ध न कराये जाने पर 25,000 रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया।
जन सूचना अधिकार कानून के अनुसार 30 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध करा दी जानी चाहिए। वैध कारणों से यह अवधि 30 दिनों के बदले बढ़ा कर 45 दिन की जा सकती है।
Posted on 25 March 2010 by admin
हरिद्वार– कुंभ मेला क्षेत्र के गौरीशंकर द्वीप में स्थित एस्कॉन शिविर में रामनवमी का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । हरिद्वार में एस्कॉन शिविर के सहायक प्रभारी कृष्ण मुरारी त्रिपाठी ने रामनवमी के अवसर पर कहा कि लोगों को राम के जीवन से उदाहरण लेकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए । उन्होंने 600 करोड़ रुपए के कुंभ का बजट खर्च का विवरण सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक करने की मांग की ।
उन्होंने कहा,‘‘कुंभ क्षेत्र में गांजा एवं चिलम के नशे से साधू समाज भी अछूते नहीं रह गए हैं । त्रिपाठी ने कहा कि इस क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ और स्वयंसेवी संगठनों को साधुओं के शिविरों में जाकर नशा मुक्ति अभियान चलाना चाहिए।
Posted on 24 March 2010 by admin
नई दिल्ली – आरटीआई याचिका के जवाब पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में सूचना गोपनीय है। कोर्ट ने इससे पहले इस बात से इनकार किया था कि सीबीआई ने मामले में प्रधान न्यायाधीश से संपर्क किया था।
अभिषेक शुक्ला की ओर से दायर याचिका में यह जानकारी मांगी गई थी कि मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति निर्मल यादव पर मुकदमे की अनुमति के लिए सीबीआई ने देश के प्रधान न्यायाधीश से संपर्क किया था या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी राजपाल अरोरा ने आरटीआई जवाब में कहा कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी गोपनीय है और इसे सूचना का अधिकार कानूनए 2005 की धारा 8 (1) के तहत उजागर करने से छूट प्राप्त है। अरोरा ने कहा कि यह जानकारी सी.पी.आई.ओ, सुप्रीम कोर्ट भारत के नियन्त्रण में नहीं है। इस जवाब को सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव एमपी भद्रन द्वारा पहले जारी एक बयान का करारा जवाब माना जा रहा है,जिसमें उन्होंने कहा था कि सीबीआई ने मामले में प्रधान न्यायाधीश से संपर्क नहीं किया।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये से भरा बैग पहुंचने के बाद इस कथित घोटाले में न्यायमूर्ति निर्मल यादव का नाम आया था। कहा जा रहा था कि नामों के सन्देह में यह बैग वहां पहुंचा दिया गया। न्यायमूर्ति कौर ने मामले की खबर पुलिस को दी थी। बाद में चण्डीगढ़ प्रशासन के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। प्रधान न्यायाधीश ने मामले में निगरानी के लिए तीन न्यायाधीशों की एक समिति गठित की थी। खबरों के मुताबिक तत्कालीन अटार्नी जनरल मिलन बनर्जी ने कानून मन्त्रालय को सलाह दी थी कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है। सीबीआई की एक कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी ने मुकदमा शुरू करने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश से मंजूरी नहीं मिलने के बाद समाप्ति रिपोर्ट दाखिल की है। इस
Posted on 24 March 2010 by admin
लखनऊ-एडवोकेट अभय कुमार सिंह ने अपने मुअक्किल 1992 कैडर के आई.पी.एस.अधिकारी अमिताब ठाकुर की ओर से निर्वाचन आयोग को नोटिस दी।
जानकारी के अनुसार आई.पी.एस.अधिकारी अमिताब ठाकुर को 2007 अप्रैल विधान सभा चुनाव के दौरान महराज गंज तथा दिसंबर 2007 मे लोक सभा के उप चुनाव मे बलिया पुलिस अधीझक पद से स्थानांतरण किया गाय था। इसके लिए अमिताब ठाकुर ने अपने पत्र संख्या एसपी– पर्स/09 दिनांक 19-03-09 तथा पत्र संख्या एसपी- पर्स/09 ई.सी.आई.दिनांक 04-08-09 मे जन सूचना अधिकार के तहत आयुक्त निर्वाचन आयोग से स्थानांतरण के कारण की जानकारी मांगी थी। मांगी गई सूचना न मिलने पर आयोग को नोटिस दी गई है
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 23 March 2010 by admin
सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश)- विगत चार माह पहले विकास खण्ड दूबेपुर की ग्राम पंचायत भांई के सम्बन्ध में सूचना अधिकार के तहत इम्तियाज रिजवी सात विन्दुओं पर जानकारी मागीं थी जिसका प्रार्थना पत्र 20 नवम्बर 09 को ग्राम पंचायत सचिव को दिया था। परन्तु आज तक प्रार्थी को आज तक कोई सूचना नही प्राप्त हो सकी जिसके चलतें श्री रिजवी ने जिला पंचायतराज अधिकारी से जानकारी प्राप्त करने का मन बनाया।
प्रार्थी ने बताया कि जनहित में उठाये गये विन्दूओं के जबाब न मिलने से प्रार्थी बहुत छुब्ध है। श्री रिजवी ने कहा कि यदि जबाब नही मिला तो मान्नीय अदालत का सहारा लूगां परन्तु ग्राम पंचायत भांई के सम्बन्ध में मागी गई जानकारी प्राप्त करके ही रहूगां।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 21 March 2010 by admin
लखनऊ – नेशनल आर.टी.आई फोरम द्वारा आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम और विधायकों का दृष्टिकोण विषयक संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए मलिहाबाद के विधायक सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून लाल फीताशाही की गिरफ्त में है जिसे शीघ्र दूर करने की जरूरत है।
विधायक सिद्धार्थ शंकर, भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ (आई.आई.एम.एल) में नेशनल आरटीआई फोरम द्वारा आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम और विधायकों का दृष्टिकोण विषयक संगोष्ठी में विचार व्यक्त कर रहे थे। सुल्तानपुर के विधायक अनूप संडा ने बतौर सामाजिक कार्यकर्ता अपने अनुभव बताये। संडा ने कहा कि आर.टी.आई कार्यकर्ताओं को अब भी काफी देर से सूचनाएं हासिल होती हैं। संडा ने सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्यवाही करने की वकालत की।
बांदा के विधायक विवेक सिंह ने कहा कि इस कानून ने सामान्य नागरिकों को वह अधिकार दिलाया है जो पहले सिर्फ सांसदों और विधायकों तक सीमित था। उन्होंने कहा कि निरंकुश राजतंत्र पर नकेल कसने के लिए यह एक उपयोगी जरिया है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को हुक्मरानों के लिए और बाध्यकारी बनाने पर जोर दिया।
नेशनल आर.टी.आई फोरम के अध्यक्ष व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने संगोष्ठी में शामिल प्रतिभागियों को सूचना के अधिकार अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। संगोष्ठी में आर.टी.आई कार्यकर्ता अखिलेश सक्सेना, प्रोजेक्ट विजय के महेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता पूजा सिकेरा समेत कई अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। नेशनल आर.टी.आई फोरम की संयोजक डा. नूतन ठाकुर ने संगोष्ठी में आए सभी लोगो को धन्यवाद ज्ञापित किया।
Posted on 20 March 2010 by admin
देहरादून (उत्तराखंड)-राज्य सूचना आयोग ने विलंब से सूचनाएं देने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी विकास प्राधिकरण (आईटीडीए)पर 5000 रुपये क्षतिपूर्ति आरोपित किया है। आयोग ने आईटीडीए को एक माह के भीतर सूचना प्रार्थी ए. कुमार को क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
ईसी रोड निवासी ए. कुमार ने मई 2009 में आईटीडीए के लोक सूचनाधिकारी यानी समन्वयक वित्त एवं प्रशासन से 2007-08 में डेपुटेशन पर आए पीसी, पीसी(तकनीकी), व पीसी(वित्त एवं प्रशासन)के नाम, वेतन व अन्य भत्तों व सुविधाओं के बारे में, उनके रिपोर्टिग ढांचे, व उनके नियुक्ति व रिलीविंक प्रमाण पत्रों की प्रतियों की मांग की। मिली आधी-अधूरी सूचनाओं से असंतुष्ट होकर उन्होंने सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव से विभागीय अपील की। अपील के निस्तारण से असंतुष्ट होकर ए. कुमार ने सूचना आयोग में अपील कर दी।
सुनवाई के दौरान जानकारी हुई कि आईटीडीए में प्रतिनियुक्ति पर आए विनोद कुमार तनेजा को लेकर प्रार्थी को कुछ आपत्ति है। इस पर आयोग ने कहा कि अगर इससे प्रार्थी को कोई हानि हुई है तो वह एनआईसी या आईटीडीए के सक्षम स्तर से शिकायत कर सकते हैं या अदालत की शरण लेकर वहां से राहत की मांग कर सकते हैं। आयोग ने प्रकरण में विलंब का स्पष्ट मामला मानते हुए आईटीडीए को आदेश दिया कि वह एक माह के भीतर प्रार्थी को पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति का भुगतान करे।