सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत तय समय सीमा के अंदर सूचना न देने पर केवल अधिकारी ही दोषी ही नहीं होंगे, इसके लिए लिपिक की भी बराबर की जिम्मेदारी मानी जाएगी। उसे भी अधिकारी के साथ जुर्माना की राशि अदा करना पड़ेगी।
जन सूचना अधिकार में किसी भी तरह की सूचना अधिकतम तीस दिन के अंदर उपलब्ध कराने का नियम है। इसके लिए हर विभाग में जन सूचना अधिकारी नामित हैं। यदि सूचना तीस दिन के अंदर उपलब्ध नहीं हो पाती तो अगले दिन से ढाई सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है। जुर्माना की राशि सूचना मांगने वाले व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाती है। अभी तक जुर्माना उस अधिकारी को भरना पड़ता था जो जन सूचना अधिकारी का काम देखता था। जन सूचना अधिकार आयोग का मानना है कि चूंकि सूचना एकत्र कर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी विभाग के लिपिक के पास है तो अकेले जन सूचना अधिकारी को ही दंड का भागीदार क्यों माना जाए। आयोग ने जुर्माना अदा करने के लिए हर संबंधित कार्मिक की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश विभागों को दिए। इस पर अमल शुरू हो गया है। खाद्य एवं रसद विभाग ने अधिकारी के साथ जनसूचना अधिकार के प्रकरण निपटाने वाले लिपिकों को भी जुर्माना अदा करने वालों की श्रेणी में रख दिया है। अन्य विभागों में भी ऐसी ही व्यवस्था की जा रही है। विभागाध्यक्षों का मानना है अधिकारियों को अन्य विभागीय कार्य होने के कारण इतना समय नहीं रहता कि समय से सूचनाएं उपलब्ध करा सकें। नई व्यवस्था से संबंधित लिपिक सूचनाएं देने में अनावश्यक विलंब नहीं करेंगे और अधिकारियों पर से भी अतिरिक्त दबाव कम होगा।
Vikas Sharma
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