Posted on 21 May 2010 by admin
शिमला में राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के डायमंड जुबली समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने कहा है कि आरटीआई एक्ट के अधीन आने वाली सभी संस्थाओं, एनजीओ, सोसाइटी और ट्रस्ट को भी कैग के ऑडिट के दायरे में लाया जाना चाहिए। वर्तमान में 1971 एक्ट के तहत इन सभी संस्थाओं को कैग के ऑडिट के तहत लाए जाने का प्रावधान नहीं है। पब्लिक ऑडिट की प्रकिया में कई सुधार किए जाने की आवश्यकता अभी भी महसूस की जा रही है।
डॉ. अंसारी ने कहा कि ऑडिट प्रक्रिया में कई ऐसी खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाए तो जनता को सुशासन मुहैया कराया जा सकता है। अभी कैग के पास ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे वह राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को समन जारी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके। कैग के अधीन ऐसी संवैधानिक बॉडी का गठन किया जाना चाहिए जिसके पास ऐसे अधिकार निहित हों।
डॉ. अंसारी ने कहा कि कोई भी संस्था जो सूचना के अधिकार के दायरे में आती है, उसे कैग के ऑडिट के अधीन भी लाया जाना चाहिए। पब्लिक ऑडिट का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है, जब रिकॉर्ड को निर्धारित समयसीमा में बिना बाधा के मुहैया कराया जाता है।
Posted on 25 January 2010 by admin
चित्रकूट(उत्तर प्रदेश)-सरकारी कामों में पारदर्शिता बरतने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा लागू किया गया सूचना अधिकार कानून भी लोगों के लिए बेमतलब साबित हो रहा है। जनहित में मांगी गई सूचनाएं विभागीय अधिकारियों द्वारा न दिए जाने से इस कानून का लाभ लोगों को नही मिल पा रहा। जबकि अभी हाल ही में जनपद दौरे पर आए राज्य सूचना आयुक्त ने बैठक के दौरान अधिकारियों को हिदायत दी थी कि यदि मांगी गई सूचनाएं समय पर उपलब्ध नहीं कराइ जाएंगी तो सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के जिला समन्वयक रुद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से जिले की स्वास्थ्य सम्बंधी सुविधाओं की जानकारी के लिए भर्ती, दवा, उपचार आदि से सम्बंधित कई सूचनाएं मांगी थी। लेकिन विभाग द्वारा उनको इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी गई। उनके द्वारा बीती 9 जनवरी 09 को उन्होंने पंजीकृत डाक से पत्र भेज कर 5 बिन्दुओं पर मांगी गई सूचनाओ को एक साल हो गया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सम्बंधित अधिकारी आज भी इस ओर से निश्चिन्त बैठे हुए हैं। जबकि उनके द्वारा कई बार स्मरण पत्र भी विभाग को भेजा जा चुका है। इसके अलावा उन्होंने इसकी शिकायत प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से भी की थी। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। श्री मिश्रा ने बताया कि सूचना कानून का उल्लंघन करना यहां के अधिकारियों की नियत बन गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सूचना आयुक्त की हिदायत के बावजूद भी अधिकारी इस ओर से लापरवाह बने हुए हैं फिर ऐसे में किस तरह से इस कानून के द्वारा सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी।