महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ पीठ वाराणसी द्वारा ‘सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को विश्वविद्यालय में किया गया. दो दिवसीय सेमिनार में सूचना के अधिकार का विकास,भारतीय लोकतंत्र में योगदान, सूचना का अधिकार और भारत में भ्रष्टाचार,सामाजिक परिवर्तन और सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार और गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका, सूचना का अधिकार एवं जनमाध्यम आदि विषयो पर चर्चा की गयी.
कार्यक्रम के उदघाटन सत्र मे बतौर मुख्य अतिथि इन्दरा गांधी केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. सी.डी. सिंह ने सूचना अधिकार कानून को देश का सबसे महत्वपूर्ण कानून माना। कहा कि सूचना का अधिकार कानून तब मजबूत कहा जायेगा जब भारत का प्रत्येक नागरिक इस अधिकार का प्रयोग करना प्रारंभ करेगा।सूचना के अधिकार ने आज आम आदमी को उन लोगों से लड़ने की शक्ति दी है जिनसे लडने के बारे में वो कभी सोच भी नहीं सकता था।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता राज्य सूचना आयुक्त श्री वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा कि सूचना अधिकार कानून का एक सच ये भी है कि 75 प्रतिशत मामलों में आवेदनकर्ता को सूचना नहीं मिल पाती।सूचना का अधिकार कानून के प्रभावी होने में जनसूचना अधिकारियों की भूमिका अच्छी नहीं। इसके पीछे वजह यह है कि जनसूचना अधिकारियों को इस कानून और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में प्रभावी प्रशिक्षण नहीं दिया जाता पत्रकार एवं सूचना अधिकार पर यूरोपियन के लोरेंजो नटाली प्रथम पुरस्कार प्राप्तकर्ता सूचना अधिकार कार्यकर्ता श्री श्यामलाल यादव ने विस्तारपूर्वक बताया कि आज सूचना अधिकार से मीडिया को कितनी शक्ति मिल गयी है। उन्होंने मीडिया के लोगों से इसका अधिक से अधिक उपयोग करने तथा भ्रष्ट नेताओं एवं नौकरशाहों को बेनकाब करने की अपील की। पांचजन्य के सम्पादक बलदेव भाई शर्मा ने भी सूचना अधिकार पर अपने अनुभवों की चर्चा करते हुए सूचना अधिकार कानून 2005 भारत के सबसे बड़े क्रान्तिकारी कानून की संज्ञा दी। ये भी कहा कि देश में सिर्फ यही एक कानून है जो सरकारी मशीनरी को सामाजिक सरोकार पर मजबूर कर सकता है। डीडी न्यूज के अनिल दुबे ने कहा कि भ्रष्ट नेता और नौकरशाह इस कानून की धार कमजोर करने के प्रयास में लगातार लगे हैं मगर यदि जनता जागरूक रही तो उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पायेंगे।अध्यक्षता करते हुए महात्मा काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. अवध राम ने कहा कि कानून का उपयोग दूसरों को परेशान करने में न हो। जैसाकि अक्सर देखने में आता है। संस्थान के निदेशक एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के चेयरमैंन प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि इस कानून के आने के बाद आम आदमी मजबूत हुआ है भ्रष्टाचार के खिलाफ भी उसकी मुहीम को बल मिला हैं. सूचना के अधिकार की सामजिक परिवर्तन में अहम् भूमिका हैं . सूचना का अधिकार लोकतंत्र में आम आदमी के लिए एक हथियार है.जिससे वह अपने हक की लड़ाई लड़ रहा हैं.धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के डीन प्रो. राम मोहन पाठक ने किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ओम प्रकाश केजरीवाल ने बतौर मुख्य अतिथि कहा आरटीआई का शुल्क बढ़ाने की वकालत वो लोग करते हैं जो इस कानून के दुश्मन है या फिर वो नहीं चाहते कि आम आदमी के हाथों में इतना बड़ा हथियार हो।श्री केजरीवाल ने ये भी कहा कि लोग अब आरटीआई के दुरूपयोग की बात करते हैं। ऐसे लोगों से पूछा जाना चाहिए कि देश में ऐसा कौन सा कानून है जिसका दुरूपयोग नहीं हो रहा है। मगर सिर्फ यही एक कानून है जिसका सबसे ज्यादा सदुपयोग हो रहा है। लाखों लोग इस कानून के जरिये सशक्त हुए हैं। आरटीआई भ्रष्टचार के मामलों में आम आदमी को लड़ने की शक्ति देता है।
पत्रकार योगेश मिश्रा ने कहा कि आज सूचना आयोग में ऐसे लोग बैठाये जा रहे हैं जो खुद दागदार हैं। इस पर हम सभी को बारीक निगाह रखनी होगी। आरटीआई एक्टिविस्ट विष्णु राजगढ़िया ने कहा कि अब तक नौकरशाह सिर्फ इसलिए हम पर हावी थी क्योंकि उनके पास कानूनी अधिकार के रूप में हथियार होते थे। मगर आरटीआई के रूप मे अब आम आदमी को भी संविधान ने एक खतरनाक अधिकार दे दिया है तो नौकरशाह परेशान हैं। वो इस हथियार की धार को कुंद करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता अशोक मेहता ने देश, समाज और मीडिया में भ्रष्टाचार के मामलों की विस्तार से चर्चा की। कहा, आरटीआई अभी एक ही पक्ष को कंट्रोल कर पा रहा है जबकि इसके दायरे में सब कुछ आना चाहिए।
बीएचयू पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 एच0ए0 आजमी ने कहा कि यदि हमारे पास सही सूचनाएं हो तो हम ज्यादा अच्छा निर्णय ले सकते हैं। जो सूचनाओं से दूर होता है, उसका नुकसान होता है। इतिहास भी इसका गवाह है। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं मीडिया भी स्वत सूचनाओं के रास्ते में रोड़ा बन रही है जो ठीक नहीं। पी0टी0आई0 झारखण्ड के प्रमुख इंदु कांत दीक्षित ने नई दिल्ली की संस्था पीसीआरएफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सूचना आयेाग में सूचना न देने के मामलों में से सिर्फ 3 ़17 प्रतिशत मामलों में ही दोषी अधिकारियों पर पेनाल्टी लगाई गयी। क्या इसी तरह सूचना अधिकार का भला हो रहा है। प्रेस काउंसिल के सदस्य एवं जनमोर्चा के सम्पादक शीतला सिंह ने कहा कि यदि समाज से भ्रष्टाचार को मिटाना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। ऐसा होता है तो शायद हमें किसी कानून की जरूरत न पड़े।
सेमिनार में चार सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें आठ राज्यों के 25 विश्वविद्यालयों के करीब 400 लोगों ने प्रतिभाग किया 22 सोर्स परसन के रूप में आमंत्रित रहे।दो दिन की गतिविधियों में मुख्य रूप से प्रो. बी.आर. गुप्ता, प्रो. वीरेन्द्र व्यास, प्रो. हरीश कुमार, डा. देवेन्द्र नाथ सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह ,भड़ास डाट काम के यशवंत सिंह,डा. आनंद प्रधान ,प्रेस काउंसिल सदस्य सुमन गुप्ता,डॉ गोपाल सिंह, डा. गोविन्द जी पाण्डेय, डॉ अरविन्द सिंह ,डॉ अवध बिहारी सिंह , कौशल कुमार पाण्डेय,विभव कुमार ,डॉ उमेश पाठक, डा. दुर्गेश त्रिपाठी डा. विवेक कुमार सिंह, डा. अरविन्द, डा. राजेन्द्र सिंह, डा. धर्मेन्द्र पटेल, आशीमा सिंह गुरेजा, साधना श्रीवास्तव, शशांक शेखर चतुर्वेदी, जिनेश कुमार, दिग्विजय सिंह राठौर, आशीष त्रिपाठी , डा. प्रतिभा शर्मा,नागेन्द्र प्रताप सिंह आदि ने विभिन्न गतिविधियों में शिरकत की.
दिग्विजय सिंह राठौर ,प्रवक्ता, जनसंचार विभाग
पूर्वांचल विद्यालय जौनपुर. 9415840877