तीन माह बाद भी नहीं मिली जन सूचना अधिकार के तहत सूचना -मुख्य विकास अधिकारी से मांगी गई थी सूचना: सुलतानपुर14 फरवरी। 11 नवम्बर 2009 को राहत टाइम्स के जिला संबाददाता ने मनरेगा में हो रही गड़बड़ियो के तहत मुख्य विकास अधिकारी से जानकारी मांगी थी परन्तु तीन माह बीत जाने के बाद भी आज तक सूचनाएं नहीं मुहैया कराई गई। सूचनाओं के अन्तर्गत जो जानकारी मांगी गई थी उसमें जो सूचनाएं हैं उसमें - क्रमाक 1.पर मनरेगा का वार्षिक बजट का आबंटन योजना आरंभ से। - क्र0न.2 कान्टीजेन्सी में ग्राम पंचायतों में वितरित किए गये सामगि्रयों का विवरण- वित्तीयवर्षों के अनुक्रम में। - क्र0 न.3-वितरित किए सामग्रियो का भुगतान सम्बन्धी विवरण। - क्र0सं04-मनरेगा कानून के अन्तर्गत उपलब्ध नियुक्ति कर्मचारियों के मानदेय का मॉग, लिए गये कार्यका विवरण भुगतान का विवरण एवंसम्बन्धित नियमावली। - क्र0संभ् वर्तमान वित्तीय वर्ष 2009-10 में उपल्ब्ध धनराशि एवं ग्राम पंचायतों को धन राशि का आबटंन कानून के अनुसार समीक्षा... SC to appeal before itself on RTI row: New Delhi - The Supreme Court would file an appeal before itself in the next few days challenging the judgement of Delhi High Court holding that the office of the Chief Justice of India came under the ambit of the RTI Act. - The appeal, though drafted more than a month ago, could not be brought on record before the registry due to a technical glitch but the same would be formalised after the court reopens on Monday after a week-long Holi recess, official sources told PTI. - The sources said that CJI K G Balakrishnan had consultations with other apex court judges on the issue and the grounds taken by it in the appeal are identical to the stand taken in the High Court that disclosure of information held by the CJI would hamper independence of judiciary. - source :... जजों की पदोन्नति पर आपत्ति सम्बंधी सूचना देने मे आपत्ति: नई दिल्ली - सरकार ने उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नति के लिए भेजे गए उन जजों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है जिनके नाम पर राष्ट्रपति ने आपत्ति प्रकट की है। अब इस मामले पर केन्द्रीय सूचना आयोग को फैसला करना है। इस बारे में सूचना सामाजिक कार्यकर्ता एस.सी अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आर.टी.आई) के तहत मांगी थी। - प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्रवाल के आवेदन पर केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी ने कहा था कि मन्त्रालय के पास ऐसी कोई सूची नहीं है। यह आवेदन राष्ट्रपति सचिवालय के पास पहुंचा थाए जहां से इसे जवाब देने के लिए मन्त्रालय के पास भेज दिया गया था। आवेदन में पूछा गया था कि उच्चतम न्यायालय के लिए अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश पदों पर प्रोन्नति के लिए किन जजों का नाम कम से कम एक बारं लौटाया गया। -... फैसलों से जुड़े सवालों का जवाब देना मुश्किल: नई दिल्ली - सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरटीआई के मामलों को देख रहे उसके अधिकारियों से शीर्ष अदालत के फैसलों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती ,क्योकि उनके पास सीमित संसाधन हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत ने केन्द्रीय सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान कहा कि जहां तक केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) की बात है तो उनके लिए फैसलों पर कोई टिप्पणी कर पाना या इस बात की जानकारी देना बहुत मुश्किल होगा कि फैसले में ऐसा हुआ है या नहीं। यह काम वकील का है। कामत ने कहा कि सी.पी.आई.ओ के पास सीमित संसाधन और आधारभूत सुविधाएं है। - आरटीआई कानून के तहत रजिस्ट्री में जो उपलब्ध है, निश्चित रूप से वह देगा, लेकिन अगर इस अनुरोध को मान लिया गया तो हम कई परेशानियों में फंस जाएंगे। आरटीआई आवेदक सुभाष अग्रवाल ने आरटीआई कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से... निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में: निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में, अगर - एनटीएडीसीएल सूचना-अधिकार के दायरे में : मद्रास उच्च न्यायालय - हाल ही में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा न्यू तिरुपुर एरिया डिवेलपमट कार्पोरेशन लिमिटेड, (एनटीएडीसीएल) की याचिका खारिज कर दी गई है। कंपनी ने यह याचिका तमिलनाडु राज्य सूचना आयोग के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी जिसमें आयोग ने कंपनी को मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। - एक हजार करोड़ की लागत वाली एनटीएडीसीएल देश की पहली ऐसी जलप्रदाय परियोजना थी जिसे प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मार्च 2004 में प्रारंभ किया गया था। परियोजना में काफी सारे सार्वजनिक संसाधन लगे हैं जिनमें 50 करोड़ अंशपूजी, 25 करोड़ कर्ज, 50 करोड़ कर्ज भुगतान की गारंटी, 71 करोड़... कैग के ऑडिट दायरे में आएं एनजीओ - उपराष्ट्रपति: शिमला में राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के डायमंड जुबली समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने कहा है कि आरटीआई एक्ट के अधीन आने वाली सभी संस्थाओं, एनजीओ, सोसाइटी और ट्रस्ट को भी कैग के ऑडिट के दायरे में लाया जाना चाहिए। वर्तमान में 1971 एक्ट के तहत इन सभी संस्थाओं को कैग के ऑडिट के तहत लाए जाने का प्रावधान नहीं है। पब्लिक ऑडिट की प्रकिया में कई सुधार किए जाने की आवश्यकता अभी भी महसूस की जा रही है। - डॉ. अंसारी ने कहा कि ऑडिट प्रक्रिया में कई ऐसी खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाए तो जनता को सुशासन मुहैया कराया जा सकता है। अभी कैग के पास ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे वह राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को समन जारी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके। कैग के अधीन ऐसी संवैधानिक बॉडी का गठन किया जाना चाहिए जिसके पास ऐसे अधिकार निहित... 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को किया गया.: महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ पीठ वाराणसी द्वारा 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को विश्वविद्यालय में किया गया. दो दिवसीय सेमिनार में सूचना के अधिकार का विकास,भारतीय लोकतंत्र में योगदान, सूचना का अधिकार और भारत में भ्रष्टाचार,सामाजिक परिवर्तन और सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार और गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका, सूचना का अधिकार एवं जनमाध्यम आदि विषयो पर चर्चा की गयी. - कार्यक्रम के उदघाटन सत्र मे बतौर मुख्य अतिथि इन्दरा गांधी केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. सी.डी. सिंह ने सूचना अधिकार कानून को देश का सबसे महत्वपूर्ण कानून माना। कहा कि सूचना का अधिकार कानून तब मजबूत कहा जायेगा जब भारत का प्रत्येक नागरिक इस अधिकार का... आरटीआई के 25 आवेदन कार्यक्रम अधिकारी को दिया: सूचना का अधिकार अभियान द्वारा सूचना के अधिकारा एवं जनल¨कपाल बिल के समर्थन एवं कार्यवाही हेतु कार्यक्रम विकास भवन परिसर में आय¨जित किया गया। इस अवसर पर कुल 25 आवेदन जिला कार्यक्रम क¨ अधिकारी क¨ दिया गया। जिसमें आंगनवाड़ी सहित इस विभाग की तमाम य¨जनाअ¨ं के बारे में जानकारी मांगी गयी। ताकि इसका भैतिक सत्यापन कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जा सके। - इस म©के पर वक्ताअ¨ं ने कहा कि बीते 24 फरवरी क¨ जिला पंचायत राजअधिकारी क¨ 25 आवेदन प्रेषित किया गया लेकिन आज तक उसकी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। जबकि कानून में 30 दिन के भीतर सूचना देने का प्रावधान है। इस बाबत जिला पंचायत राजअधिकारी से पूछे जाने पर पहले त¨ आनाकानी किया लेकिन पि र एक सप्ताह के अन्दर सूचना देने की बात स्वीकारी। आवेदन के पश्चात के ब्लाक¨ं के प्रमिनिधिय¨ं ने निर्णय किया कि आगामी 5 अप्रैल क¨ जनल¨कपाल विधेयक क¨ लागू... राज्यपाल ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ पुस्तिका का विमोचन किया: सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगेगा - राज्यपाल - उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, श्री विजय शंकर शर्मा, श्री पारसनाथ गुप्ता, श्री स्वदेश कुमार, श्री सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी, श्री हाफिज उस्मान, श्री राजकेश्वर सिंह, श्री गजेन्द्र यादव तथा उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश गर्ग, राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण सहित अनेक गणमान्य...

Archive | लखनऊ

सूचना उपलब्ध न कराने के दोषी 19 जनसूचना अधिकारियों पर लगाया 4.60 लाख रुपये का अर्थदण्ड

Posted on 15 December 2017 by admin

लखनऊः 15 दिसम्बर 2017
राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने आरटीआई अधिनियम के तहत 19 अधिकारियों को सूचना न उपलब्ध कराने का दोषी मानते हुए 4.60 लाख रुपये का अर्थदण्ड लगाया है। आयोग ने इन अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी कर वादी को 30 दिन में सूचना उपलब्ध कराने को कहा था।
श्री उस्मान द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना के अनुसार इन अधिकारियों में जन सूचना अधिकारी, अपर जिलाधिकारी, सम्भल पर 10,000 रुपये तथा अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, मुजफ्फरनगर, उपजिलाधिकारी तहसील शामली जनपद शामली, तहसीलदार तहसील बिलारी, मुरादाबाद, तहसीलदार चन्दौसी, सम्भल, उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद, मुरादाबाद, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, शामली, नगर नगम, मुरादाबाद, जिला पंचायत राज अधिकारी, मुरादाबाद, जिला विकास अधिकारी, शामली, विकास प्राधिकरण, सहारनपुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल, जिला विद्यालय निरीक्षक, मुजफ्फरनगर, जिला समाज कल्याण अधिकारी, सहारनपुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बिजनौर, सहायक विकास अधिकारी पंचायत विकास क्षेत्र कोतवाली, बिजनौर, खण्ड विकास अधिकारी विकास खण्ड मिलक, रामपुर, ग्राम पंचायत अधिकारी खमरिया, मिलक, रामपुर, ग्राम पंचायत अधिकारी पिन्डौरा जहांगीरपुर ऊन, शामली पर 25-25 हजार रुपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है।
एक अन्य मामले में राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने पूर्णरूप से सूचना न देने वाले ग्राम पंचायत अधिकारी लिसाढ विकास खण्ड कांधला, शामली पर 5000 रुपये, अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड खतौली, मुजफ्फरनगर पर 2,000 रुपये तथा बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी, सम्भल पर 1,000 रुपये का अर्थदण्ड लगाते हुए बतौर क्षतिपूर्ति वादी को कुल 8,000 रुपये (आठ हजार रुपये) दिलाया।

Comments Off on सूचना उपलब्ध न कराने के दोषी 19 जनसूचना अधिकारियों पर लगाया 4.60 लाख रुपये का अर्थदण्ड

मनमोहन काल के मुकाबले मोदी काल में दोगुनी दर से शहीद हो रहे वायु सैनिक!

Posted on 15 December 2017 by admin

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊ/१४ दिसम्बर २०१७…………

किसी भी युद्ध में वायुसेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है और वायु
सेना की रीढ़ की हड्डी होते हैं वायु सैनिक और इसीलिये एक-एक वायु सैनिक
का जीवन अनमोल होता है पर क्या आप जानते हैं कि इस साल हमारे देश भारत की
वायु सेना ने कितने अनमोल वायु सैनिक गवां दिए हैं? नहीं न l तो चलिए अब
हम आपको इसकी सटीक जानकारी दिए देते हैं क्योंकि आबादी के हिसाब से देश
के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई
एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई पर भारत
के वायु सेना मुख्यालय ने संजय को जो जानकारी दी है उससे यह चौंकाने वाला
खुलासा हो गया है कि चालू साल २०१७ के शुरुआती १० महीने में ही पिछले ९
सालों के बराबर यानि कि १ जनवरी २००८ से ३१ दिसम्बर २०१६ तक के समय में
शहीद हुए वायुसैनिकों के बराबर वायुसैनिक शहीद हो गए हैं
देश में पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम
रहे चोटी के समाजसेवियों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते सितम्बर
महीने की ०४ तारीख को भारत के रक्षा मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी भेजी
थी l नई दिल्ली स्थित भारत के वायु सेना मुख्यालय की विंग कमांडर और
केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी सुमन अधिकारी ने संजय को जो सूचना दी है उसके
अनुसार देश ने साल २००७ में २, साल २००८ में १,साल २०१३ में ५,साल २०१६
में १ और चालू साल २०१७ के शुरुआती १० महीनों में ७ वायुसैनिक गवां दिए
हैं
देश भर में अपने तेजतर्रार रुख के लिए जाने जाने वाले समाजसेवी संजय
शर्मा ने इस स्वतंत्र पत्रकार को एक विशेष बातचीत में बताया कि उनको दी
गई सूचना से स्पष्ट है कि साल २००७ से २०१३ तक के पूर्ववर्ती
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम ७ सालों में ८ वायुसैनिक शहीद हुए थे
जबकि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरंभिक साढ़े तीन साल में ही ८
वायुसैनिक शहीद हो गए हैं l इस आधार पर संजय का कहना है कि अगर दोनों
प्रधानमंत्रियों के कार्यकालों की तुलना करें तो वर्तमान पीएम नरेंद्र
मोदी के कार्यकाल में देश के वायुसैनिकों के शहीद होने की दर पूर्व पीएम
मनमोहन सिंह के कार्यकाल की दर से दोगुनी हो गई है l

वायुसैनिकों के शहीद होने की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए संजय ने
इन घटनाओं को देश की अपूर्णनीय क्षति बताया और देश के राष्ट्रपति और
प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वायुसैनिकों के शहीद होने की दर के दोगुना
होने के कारणों की खोज करने के लिए जांच कराने और आवश्यक कदम उठाकर अनमोल
वायुसैनिकों के शहीद होने की दर को कम करने के आवश्यक उपाय करने की मांग
उठाने की बात भी इस स्वतंत्र पत्रकार से कही है

Comments Off on मनमोहन काल के मुकाबले मोदी काल में दोगुनी दर से शहीद हो रहे वायु सैनिक!

10 सालों में 14415 जवान देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर चुके- संजय शर्मा आरटीआई एक्सपर्ट

Posted on 11 December 2017 by admin

लखनऊ/10 दिसम्बर 2017

यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी देश के जानेमाने आरटीआई एक्सपर्ट और
इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर जवाब देते हुए भारतीय सेना ने
बताया है कि साल 2008 से लेकर इस साल बीते 01 नवम्बर तक बैटल कैजुअलटी
में 1228 और फिजिकल कैजुअलटी में 13187 जवान शहीद हो चुके हैं। इस तरह
पिछले 10 सालों में 14415 जवान देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर
कर चुके हैं l बीते सितंबर महीने में संजय शर्मा द्वारा रक्षा मंत्रालय
को भेजी गई आरटीआई एप्लीकेशन पर एकीकृत मुख्यालय रक्षा मंत्रालय ( सेना
) के लेफ्टिनेंट कर्नल और जन सूचना अधिकारी ए. डी. एस. जसरोटिया ने बीते
13 नवम्बर के पत्र के माध्यम से यह जानकारी सार्वजनिक की है।

अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के
साथ-साथ देश को अंदरूनी अंतर्द्वंदों से निजात दिलाने वाले सैनिकों को ही
रियल हीरो मानने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने यह आरटीआई अर्जी
देकर पिछले 10 सालों में सेना के अंगवार यानि कि थल सेना, जल सेना और
वायु सेना के ऑन ड्यूटी शहीद हुए सैनिकों की वर्षवार सूचना माँगी थी l
थल सेना ने संजय को सूचना दे दी है जबकि जल सेना और वायु सेना से सूचना
मिलना अभी शेष है l

आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि पिछले 10 सालों में बैटल कैजुअलटी
में किसी 1 साल में सबसे ज्यादा 311 जवान साल 2008 में शहीद हुए और सबसे
कम 74 जवान साल 2013 में शहीद हुए l इस साल अब तक 81 जवान बैटल कैजुअलटी
में अपनी जान गवां चुके हैं l संजय को यह भी बताया गया है कि 10 सालों
में फिजिकल कैजुअलटी में किसी एक साल में सबसे ज्यादा 1530 जवान साल 2010
में शहीद हुए और सबसे कम 1250 जवान साल 2015 में शहीद हुए l इस साल अब तक
876 जवान फिजिकल कैजुअलटी में अपनी जान गवां चुके हैं l इस तरह इस आरटीआई
से यह खुलासा हुआ है कि पिछले 10 सालों में किसी 1 साल में सबसे ज्यादा
1720 जवान साल 2010 में ऑन ड्यूटी शहीद हुए और सबसे कम 1359 जवान साल
2013 में ऑन ड्यूटी शहीद हुए l इस साल अब तक 957 जवान ऑन ड्यूटी अपनी जान
गवां चुके हैं l

मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय काम करने वाले और पेशे से
इंजीनियर संजय शर्मा ने इस स्वतंत्र पत्रकार को एक विशेष बातचीत में
बताया कि इस प्रकार पिछले दस सालों में प्रतिवर्ष औसतन 123 जवान बैटल
कैजुअलटी में , 1319 जवान फिजिकल कैजुअलटी में और इस प्रकार कुल 1442
जवान ऑन ड्यूटी शहीद हो रहे हैं l संजय का कहना है कि इन आंकड़ों से
स्पष्ट है कि अगर साल 2016 को छोड़ दें तो साल 2012 से अब तक प्रतिवर्ष
शहीद होने वाले कुल सैनिकों की संख्या पिछले 10 सालों के औसत से कम रही
है l संजय के अनुसार उन्होंने आरटीआई इसलिए दायर की थी क्योंकि वे देश को
बताना चाहते थे कि देश को सुरक्षित रखने और देश में अमन चैन कायम रखने
के लिए आखिर हमें कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है l

संजय को दी गई वर्षवार सूचना पर एक नज़र ->

Year Battle Casualty Physical Casualty Total
8 311 1323 1634
9 114 1464 1578
10 190 1530 1720
11 76 1423 1499
12 85 1350 1435
13 74 1285 1359
14 77 1307 1384
15 109 1250 1359
16 111 1379 1490
17 81 876 957
Total 1228 13187 14415

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बीते बुधवार हुए केन्द्रीय सूचना आयोग के
12वें वार्षिक सम्मेलन में “मामले से लेना-देना रखने वाले लोगों को ही
आरटीआई मांगने देने की प्रणाली विकसित करने” की बात करने के केंद्रीय
मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान की भर्त्सना करते हुए एक्टिविस्ट संजय ने
कहा है कि मौका मिलने पर वे सिंह से इस सबाल का उत्तर जानना चाहेंगे कि
यदि उनकी मनचाही हुई तो क्या इस आरटीआई जैसी जनहित की आरटीआई दायर हो
पाएंगी और क्या तब सैनिकों की शौर्यगाथा के ऐसे खुलासे हो पाएंगे ?

संजय ने बताया है कि वे देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग करेंगे कि
सैनिकों की साहसिक अमर गाथा की यह जानकारी सैनिकों के नाम के साथ नियमित
समय अंतराल पर जनता को सार्वजनिक तौर पर दी जाए ।

Comments Off on 10 सालों में 14415 जवान देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर चुके- संजय शर्मा आरटीआई एक्सपर्ट

आवेदनों को नियमवली के तहत शीघ्र निपटाने के दिये, निर्देश

Posted on 02 June 2017 by admin

राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने “खेल निदेशालय” के अधिकारियों की
समीक्षा बैठक करते हुए, सम्बन्धित अधिकारियों से “सूचना अधिकार अधिनियम-2005”
के तहत आर0टी0आई0 से सम्बन्धित रिपोर्ट की जानकारी और सूचना अधिकार अधिनियम के
तहत आने वाले आवेदनों को नियमावली के तहत निपटाने में उनके सामने कैसी
समस्याएं आती है, से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी के विषय में पूछा, और उन्हें
सूचना अधिकार अधिनियम की नई नियमावली-2015 के विषय में “खेल निदेशालय” के
अधिकारियों को अवगत कराया कि जिन सूचनाओं का सम्बन्ध आपके विभाग के अधिकारियों
से हो और वह आपको वादी की सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, तो ऐसे अधिकारियों
को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 5(5), 5(4) के तहत वादी की सूचना (सूचना
धारित अधिकारी) को पत्र लिखकर सूचित करें कि वादी की सूचनाएं उपलब्ध कराये,
इसके बावजूद भी सम्बन्धित अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो
इसकी सूचना आप आयोग को दे, फिर आयोग सम्बन्धित अधिकारी को धारा 5(5), 5(4) के
तहत नोटिस जारी करेगा कि वादी की सूचनाएं उपलब्ध कराये, फिर भी सम्बन्धित
अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो फिर आयोग जनसूचना अधिकारी
पर कार्यवाही न करके, सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध सूचना अधिकार अधिनियम-2005
की धारा 20(1) के तहत दण्डात्मक एवं धारा 20(2) के तहत विभागीय कार्यवाही
करेगा।
श्री हाफिज उस्मान ने “खेल निदेशालय” के अधिकारियों को सूचना अधिकार
अधिनियम-2005 की नई नियमावली-2015 की विस्तृत जानकारी देते हुए, उन्हें बताया
कि प्रत्येक लोक प्राधिकरण द्वारा अपने अधीन प्रशासनिक इकाईयों तथा कार्यालयों
में उतनी संख्या में जितनी आवश्यकता हो, अधिकारियों को राज्य लोक सूचना
अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया जाये। राज्य लोक सूचना अधिकारियों से
वरिष्ठ अधिकारी को अधिनियम की धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन दाखिल की गयी,
अपील सुनकर उपसर निर्णय देने हेतु प्रथम अलीलीय प्राधिकारी नियुक्त किया जाये।
ऐसी नियुक्ति सम्बन्धित अधिकारी के नाम से न होकर पदनाम से होगी।
श्री हाफिज उस्मान ने खेल निदेशालय के अधिकारियों को निदेर्शित किया कि विभाग
द्वारा आवेदनकर्ता को यह बताया जाये कि वह सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत
जो सूचना चाह रहे हैं, वह सादे कागज पर स्पष्ट लिखित, टंकित या सूचना अधिकार
अधिनियम के प्रारूप पर सूचना मांगे जो नए नियमावली के निर्धारित 500 शब्दों से
अधिक न हो, और स्पष्ट एवं पठनीय हो तथा जो सूचना तृतीय पक्ष या व्यक्तिगत की
सूचना हो, उसके सम्बन्ध में आर0टी0आई0 की धारा 8 (जे) के तहत आप तृतीय पक्ष से
पत्राचार कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, कि उसकी सूचना आवेदनकर्ता को दी
जाये या नहीं, जैसा तृतीय पक्ष द्वारा बताया जाये वैसी रिपोर्ट आवेदनकर्ता को
दी जाये। मामला राज्य सूचना आयोग में आने पर आयोग इसे संज्ञान में लेगा और
नियम के तहत उसका निस्तारण करेगा, जिस सूचना का सम्बन्ध आपके विभाग से
सम्बन्धित न हो, उस प्रार्थना-पत्र को शीघ्र ही अधिनियम की धारा 6 (3) के तहत
05 दिन के अन्दर सम्बन्धित विभाग को अन्तरित करते हुए, प्रार्थी और आयोग दोनों
को सूचित कर दें। राज्य सूचना आयुक्त ने विभाग के अधिकारियों को यह भी बताया
कि शीघ्र ही वह अपने नेम प्लेट, फोन नम्बर, मिलने का समय कार्यालय में
सूचीबद्ध तरीके से लगाये, ताकि आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं को सूचनाएं प्राप्त
करने में कोई असुविधा न हो, और भविष्य में उनसे आयोग द्वारा भी सम्पर्क किया
जा सके, और आयोग की आधिकारिक वेबसाइट नचपबण्हवअण्पद पर भी समय-समय पर सप्ताहिक
वादों की सूची (पार्ट-1 और पार्ट-2) के तहत जानकारी हासिल की जा सकती है।
खेल निदेशालय द्वारा आयोग को दी गयी सूची पर राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज
उस्मान ने सख्त रूख अपनाते हुए, अधिकारियों को निदेर्शित किया पिछले एक साल
में जनसूचना अधिकारियों के पास कितने आर0टी0आई0 के आवेदन आये है, उनमें से
कितनों का निस्तारण जनसूचना अधिकारी द्वारा किया गया है, और कितने आवेदक
जनसूचना अधिकारियों से संतुष्ट न होने पर अपीली अधिकारियों के पास अपील की गयी
है, कितने वाद राज्य सूचना आयोग में लम्बित है, उन सभी की सूची अगली तिथि
30.06.2017 को आयोग में अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। आज की समीक्षा बैठक
में कुछ अधिकारी उपस्थित रहे, उनमें कुछ के नाम इस प्रकार है, डाॅ0 आर0पी0
सिंह निदेशक खेल, श्री अनिल कुमार बनौधा संयुक्त निदेशक खेल, श्री एस0एस0
मिश्रा, क्षेत्रीय क्रीडा अधिकारी व अन्य उपस्थित रहे।

Comments Off on आवेदनों को नियमवली के तहत शीघ्र निपटाने के दिये, निर्देश

राज्यपाल ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ पुस्तिका का विमोचन किया

Posted on 29 May 2017 by admin

सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगेगा – राज्यपाल

aks_7539उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, श्री विजय शंकर शर्मा, श्री पारसनाथ गुप्ता, श्री स्वदेश कुमार, श्री सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी, श्री हाफिज उस्मान, श्री राजकेश्वर सिंह, श्री गजेन्द्र यादव तथा उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश गर्ग, राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। पुस्तिका का प्रकाशन उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा किया गया है। पुस्तिका में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा गत दो वर्षो में प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने हेतु उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों का विवरण दिया गया है।
राज्यपाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सही अर्थोें में सूचना का अधिकार कानून एक क्रांतिकारी कदम है जिससे भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगाया जा सकता है। सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त सूचनाओं का उपयोग समाज के हित में होना चाहिये। सूचना के अधिकार का उपयोग दूसरों को परेशान करने की दृष्टि से किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सूचना आयोग अपने कार्य में दक्षता लाने के लिये विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करें।
श्री नाईक ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य शासन एवं प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ाना, अधिकारियों की जवाबदेही तय करना तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रदेश में सुशासन की स्थापना में सूचना का अधिकार अधिनियम का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम को जितने बेहतर तरीके से लागू किया जायेगा, प्रदेश में शासन व प्रशासन की कार्यप्रणाली में उतना अधिक सुधार आयेगा।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी अधिनियम के क्रियान्वयन में नियमों की विशेष व्यवस्था होती है। नियम के बिना अधिनियम केवल लाईब्रेरी की शोभा हो सकते हैं। प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 को प्रभावी तरीके से लागू करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा गत दो वर्षो में उठाये गये कदमों एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के प्रख्यापन की सराहना भी की। उन्होेंने यह अपेक्षा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग, प्रदेश सरकार के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित करते हुए, आने वाले वर्षो में प्रदेश में इस अधिनियम को और भी प्रभावी तरीके से लागू करवायेगा।
श्री नाईक ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से आयोग द्वारा अपने दो वर्षों का कार्यवृत्त प्रकाशित किया गया है। राज्यपाल ने बताया कि जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से वे गत 38 वर्षों से जनता को अपना कार्यवृत्त प्रस्तुत करते आ रहे हैं। वे तीन बार विधायक तथा पांच बार सांसद रहे हैं। विधायक रहते हुये ‘विधान सभा में राम नाईक‘, सांसद रहते हुये ‘लोकसभा में राम नाईक’ एवं सांसद न रहने पर ‘लोकसेवा में राम नाईक’ तथा राज्यपाल बनने के बाद गत 2 वर्षों से ‘राजभवन में राम नाईक’ नाम से अपना कार्यवृत्त प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी ने देश में सुशासन की स्थापना के परिप्रेक्ष्य में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गत दो वर्षो में आयोग द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं, जिनके माध्यम से प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि जहाँ वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में लगभग 64,000 नयी अपीलें आयोग में दायर की गयी, वहीं इन दो वर्षो में आयोग द्वारा लगभग 72,000 अपीलों का निस्तारण किया गया। इस कारणवश आयोग में लम्बित अपीलों की संख्या गत दो वर्षो में लगभग 55,000 से घटकर 47,000 के स्तर पर आ गयी।
मुख्य सूचना आयुक्त ने यह भी बताया कि आयोग की पहल पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिसम्बर, 2015 में उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 अनुमोदित एवं प्रख्यापित की गयी। इस नियमावली के लागू होने के उपरान्त प्रदेश में अधिनियम का क्रियान्वयन एकरुपता के साथ एवं सुव्यवस्थित तरीके से सम्भव हो सका है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के विभिन्न प्राविधानों के बारे में प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में कार्यरत लगभग 18,000 जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण का एक वृहद्व कार्यक्रम जनवरी, 2016 से प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम के तहत लखनऊ मुख्यालय पर शासन एवं विभिन्न निदेशालयों में कार्यरत जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण के उपरान्त, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों के मुख्यालयों पर प्रशिक्षण आयोजित किये गये, जिनमें प्रत्येक मण्डल के सभी जनपदों में कार्यरत जन सूचना अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुये, यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सतत रुप से जारी रहेगा।
मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा बताया गया कि सूचना आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु अनेक प्रभावी कदम उठाये गये हैं। आयोग में निबन्धन कार्यालय, अभिलेखागार तथा प्रतिलिपि अनुभाग का गठन किया गया है। आयोग द्वारा विभिन्न जन सूचना अधिकारियों पर लगाये गये अर्थदण्ड की वसूली सुनिश्चित करने हेतु, आयोग की पहल पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा अर्थदण्ड की वसूली का अनुश्रवण करने की व्यवस्था स्थापित की गयी है।
मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि आयोग के कार्य को और अधिक दक्ष बनाने के दृष्टिकोण से सूचना प्रोद्योगिकी (Information Technology) का अधिक से अधिक प्रयोग सुनिश्चित किया गया है। आयोग में लम्बित सभी अपीलों का विवरण Electronic Case Information System (ECIS) पर दर्ज किया जा रहा है। आयोग की नई वेबसाइट भी बनायी गयी है, ताकि जनसाधारण को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 एवं उत्तर प्रदेश सूचना आयोग से संबंधित आवश्यक सूचनाएं आसानी से प्राप्त हो सकें।
मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा यह भी बताया गया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का क्रियान्वयन और अधिक प्रभावी तरीके से सुनिश्चित करने हेतु इसी प्रकार के कदम उठाता रहेगा तथा उत्तर प्रदेश शासन के साथ समन्वय स्थापित करके यह प्रयास जारी रखेगा कि अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री स्वदेश कुमार, राज्य सूचना आयुक्त द्वारा राज्यपाल एवं अन्य गणमान्य अतिथिगण का स्वागत किया गया। श्री पारस नाथ गुप्ता, राज्य सूचना आयुक्त द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

Comments Off on राज्यपाल ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ पुस्तिका का विमोचन किया

यूपी : RTI एक्टिविस्टों ने सूचना आयुक्तों पर भ्रष्टाचार,अक्षमता का लगाया आरोप,उठाई राज्यपाल की 303 सिफारिशों के आधार पर आयुक्तों को हटाने की मांग

Posted on 22 April 2017 by admin

सूबे में सत्ता का हस्तांतरण अखिलेश यादव से योगी आदित्यनाथ को होने के बाद नए सीएम योगी के की साफ-सफाई की मुहिम के चलते अखिलेश के कार्यकाल में किये गये काले कारनामों के छुपे हुए कंकाल और नरमुंड एक-एक कर सरकारी अलमारियों से बाहर आने लगे हैं l फिर चाहें वह आवास विभाग हो , लोक निर्माण विभाग हो , सिंचाई विभाग हो या और कोई विभाग; कोई भी विभाग ऐसा नहीं दिख रहा है जो अखिलेश के समय में भ्रष्टाचार से अछूता रहा हो l इसी बीच सूबे के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव पर राजनैतिक लाभ लेने के लिए अक्षम और अयोग्य व्यक्तियों को राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों जैसा महत्वपूर्ण पद रेवड़ियों की तरह बांटने का आरोप लगाते हुए राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी और बाकी सभी 8 आयुक्तों पर सूचना आयोग में बैठकर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए आज राजधानी लखनऊ में समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में धरना देकर अपनी 2 मांगें बुलंद की हैं l

18010462_10212455701810323_10607838411146614_nधरने की आयोजिका उर्वशी शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस धरने का आयोजन सूचना आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को समाप्त कराकर नागरिकों को निर्वाध रूप से आरटीआई प्रयोग करने के संवैधानिक दायित्व को पूरा करने के लिए पर्याप्त अवसर दिलाने के वृहद् लोकहित को पूरा कराने के लिए किया है l उर्वशी ने बताया कि आरटीआई एक्ट की प्रस्तावना में ही नागरिकों को दायित्व दिया गया है कि वे इस जानने के अधिकार का प्रयोग करें और गवर्नेंस में सहभागिता कर भारत के लोकतंत्र को मजबूती दें परन्तु उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में वर्तमान कार्यरत मुख्य सूचना आयुक्त और सभी सूचना आयुक्तों में एक्ट का ज्ञान न होने; एक्ट, नियमावली और सामान्य कानूनों की सामान्य समझ भी न होने; अपने कार्यों के प्रति वफादारी की कमी होने;अपने मालिक अर्थात देश के नागरिकों के प्रति वफादारी की कमी होने ;कार्य समय में पदीय कार्य न करके व्यक्तिगत कार्य करने की आदत होने; अपने मालिक अर्थात देश के नागरिकों का दिया काम पूरा न करने की आदत होने;राजकोष में सेंध लगाकर भ्रष्टाचार करने और व्यय का हिसाब न देने;अधिकतर बिना बताये छुट्टी पर रहने की आदत होने और कार्य करते समय भेदभाव करने की आदत होने के कारण नागरिक आरटीआई प्रयोग करने के अपने संवैधानिक दायित्व का पूर्ण अनुपालन नहीं कर पा रहे हैं और आयोग में निरंतर ही उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है l बकौल उर्वशी उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के सभी क्रियाकलाप भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की गिरफ्त में हैं जिनके प्रमाण उनके पास हैं l

कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले एक्टिविस्टों ने जिला प्रशासन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, यूपी के राज्यपाल और यूपी के मुख्यमंत्री को संबोधित संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित 3 ज्ञापन प्रेषित कर उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों के खिलाफ राज्यपाल द्वारा अनुशंषा कर उत्तर प्रदेश शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग को अग्रसारित किये गये 303 प्रकरणों को तत्काल माननीय उच्चतम न्यायालय को प्रेषित कर इन सभी प्रकरणों का निस्तारण आरटीआई एक्ट की धारा 17 के अनुसार कराकर यथावश्यक दंडात्मक कार्यवाही कराये जाने और राज्य सूचना आयोग में खाली पड़े दो पदों पर आरटीआई कानून का व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले समाज के प्रख्यात व्यक्तियों की नियुक्ति माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा नमित शर्मा प्रकरण के आदेश में निर्धारित की गई प्रक्रिया का अक्षरशः अनुपालन कर पूर्णतया पारदर्शी रीति से किये जाने की 2 मांगें बुलंद कीं l

धरने का समर्थन कर रहे ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि आने वाले कल यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने आरटीआई कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर वार्ता हेतु उनके संगठन के प्रतिनिधिमंडल से व्यक्तिगत भेंट हेतु समय दिया है जिसके लिए उनके और उनके संगठन की संरक्षिका उर्वशी शर्मा के संयुक्त नेतृत्व में संगठन का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से भेंट कर उनको RTI कार्यकर्ताओं की समस्याओं से रूबरू कराएगा और इन समस्याओं के समाधान की अपील करेगा l

अशोक कुमार गोयल, हरपाल सिंह,होमेंद्र कुमार मिश्रा,आनंद प्रसाद, ज्ञानेश पाण्डेय,संजय आजाद,सैयद नईम अहमद , सुखदेव तिवारी, इकरार अंसारी आदि लखनऊ के प्रतिष्ठित नागरिकों ने भी उर्वशी के धरने का समर्थन किया l

उर्वशी ने बताया कि उनको आशा है कि सीएम योगी आरटीआई कार्यकर्ताओं की दोनों मांगे को अवश्य पूरा करेंगे l

Comments Off on यूपी : RTI एक्टिविस्टों ने सूचना आयुक्तों पर भ्रष्टाचार,अक्षमता का लगाया आरोप,उठाई राज्यपाल की 303 सिफारिशों के आधार पर आयुक्तों को हटाने की मांग

आरटीआई- यूपी के कार्यालयों की पल्ला झाड़ स्थिति

Posted on 29 June 2013 by admin

एक ही बिंदु पर गृह विभाग और डीजी ऑफिस से मांगी गयी सूचना में दिये गए उत्तर
से उत्तर प्रदेश में आरटीआई को लेकर विभागों का रवैया स्पष्ट हो जाता है.
आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने 02 नवंबर 2004 को हुई मुख्यमंत्री समीक्षा से
सम्बंधित कुछ सूचनाएं उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग और डीजीपी कार्यालय से
माँगा.

सूचना यह मांगी गयी थी यह समीक्षा बैठकें कब-कब और कहाँ आयोजित की गयीं, इनमे
किन-किन आईपीएस अधिकारियों को दंड या चेतावनी दी गयी आदि.

इस पर डीजीपी कार्यालय ने दिनांक 21 जून 2013 को यह पत्र धारा 6(3) आरटीआई
एक्ट में गृह विभाग को अंतरित कर दिया और कहा कि ये सूचनाएँ गृह विभाग से
सम्बंधित होने के कारण वहीँ मिलेंगी.

मजेदार बात यह है कि लगभग मिलती-जुलती सूचनाओं पर गृह विभाग ने दिनांक 28 जून
को ठाकुर का एक दूसरा पत्र डीजीपी कार्यालय यह कहते हुए अंतरित किया कि ये
सूचनाएँ डीजीपी कार्यालय से सम्बंधित हैं.

इस तरह एक ही सूचना में गृह विभाग और डीजीपी कार्यालय एक दूसरे पर पल्ला झाड़
रहे हैं जबकि यह सूचना दोनों जगह उपलब्ध होनी चाहिए. यह स्थिति वास्तव में
निंदनीय है.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments Off on आरटीआई- यूपी के कार्यालयों की पल्ला झाड़ स्थिति

RTI Awareness Camp & RTI material distribution

Posted on 10 October 2012 by admin

येश्वर्याज सेवा संस्थान दिनांक ११-१०-१२ दिन गुरूवार को पूर्वाह्न १० बजे से अपराह्न ४ बजे तक सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में जन सामान्य को जागरूक करने के लिए  कैंप का आयोजन ऍफ़-२२८६ राजाजीपुरम ,निकट नवजीवन नर्सिंग होम ,लखनऊ पर कर रहा है l

कैंप में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त  विशेषज्ञ सूचना के अधिकार के प्रयोग की   सरल प्रक्रिया की जानकारी देने के साथ साथ लोगों की समस्याओं के समाधान भी सुझायेंगे l
कैंप में लोगों को सूचना के अधिकार से सम्बंधित सामग्री भी दी जायेगी l

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments Off on RTI Awareness Camp & RTI material distribution

सूचना का अधिकार बचाओ अभियान उत्तर प्रदेश ” के तत्वावधान में दिनांक १५ जुलाई २०१२ को पूर्वाह्न ११ बजे से अपराह्न ३ बजे तक

Posted on 08 July 2012 by admin

लखनऊ में विधान सभा के सामने  धरना स्थल पर एक दिवसीय ध्यानाकर्षण धरना

दिनांक १४-०९-२००५ को गठित होने के उपरान्त उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में दिनांक २२-०३-२००६ से कार्य आरम्भ हुआ था l हम सभी अपने अनुभवों से यह जानते हैं कि तब से लेकर अब तक सूचना का अधिकार प्रयोग करने बाले नागरिकों की अपेक्षाओं के मार्ग में जन सूचना अधिकारियों,अपीलीय अधिकारियों,प्रशासनिक सुधार विभाग और उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्तों  द्वारा सूचना के अधिकार  अधिनियम  की  मनमानी   व्याख्या  कर  सूचना प्रदान करने के मार्ग में  छद्म अवरोध उत्पन्न कर  अधिनियम की  मूल भावना की घोर अनदेखी की गयी है l

प्रदेश में  “सूचना का अधिकार अधिनियम”  की दशा सुधारने के लिए  येश्वर्याज सेवा संस्थान के आरंभिक प्रयास से  इस एक दिवसीय ध्यानाकर्षण  धरने  का आयोजन किया जा रहा है जिसमें  सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के  आर० टी० आई० कार्यकर्ताओं की  प्रतिभागिता   अपेक्षित  है    l  धरने  के  संपन्न  होने पर   उत्तर प्रदेश में  “सूचना का अधिकार अधिनियम”  के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए के लिए  निम्नलिखित  “नौ सूत्री मांगों ”  को  लक्षित कर सुझावात्मक मांग पत्र उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल , माननीय मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष ( विधान सभा ) को  हस्तगत कराया  जायेगा l

१-राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर पद विज्ञापित कर, आवेदन प्राप्त कर पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा सर्वोत्तम  अभ्यर्थी की  नियुक्ति  की जाएँ न कि मनोनयन;
२-आयोग में पचास हज़ार से अधिक लंबित वादों का  समयबद्ध निस्तारण किया जाए  एवं प्रत्येक वाद में सुनवाईयों की अधिकतम संख्या / आयोग में वाद चलने की अधिकतम अवधि का निर्धारण किया जाए;
३-नवीन वाद आयोग में प्राप्त होने के तीसरे दिन प्रथम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो जिसमें पत्रावली के प्रपत्रों के  आधार पर प्रतिवादी को आवश्यक निर्देश देकर वाद की दूसरी सुनवाई का नोटिस वादी को पंजीकृत पत्र के माध्यम से भेजा जाए;
४- सभी वादों के अंतरिम एवं अंतिम आदेश आयोग की वेब-साईट पर आदेश जारी होने के दिन ही अपलोड किये जायें;
५-राज्य सूचना आयोग द्वारा अधिनियम की धाराओं यथा धारा ४,७,८,२० आदि का अधिनियम की मूल भावना के अनुसार अनुपालन सुनिश्चित किया/कराया  जाए और अन्यथा की स्थिति में सम्बंधित जन सूचना अधिकारियों,अपीलीय अधिकारियों अन्य लोकसेवकों पर दंड अधिरोपित किया जाए एवं राज्य सूचना आयोग द्वारा अधिनियम की धारा १८ के तहत शिकायत प्राप्त कर शिकायत पर  उसी दिन सुनवाई कर समुचित आदेश जारी किये जाएँ;
६-राज्य सूचना आयोग द्वारा पूर्व में अधिरोपित दो करोड़ से अधिक दंड राशि को अधिकतम तीस दिनों में राजकोष में जमा कराया जाए एवं अधिरोपित नए अर्थदंड की बसूली दंड अधिरोपण के तीस दिन के अन्दर सुनिश्चित की जाए;
७-सूचना का अधिकार अधिनियम संबंधी कार्यों के लिए  हिंदी और अंगरेजी की तरह उर्दू भाषा में किये गए पत्राचार को भी मान्यता प्रदान की जाए और वादी द्वारा प्रार्थना पत्र उर्दू में देने पर उस प्रकरण की आगे की सारी कार्यवाही उर्दू में ही की जाए;
८- सूचना का अधिकार प्रयोग करने बाले नागरिकों का उत्पीडन रोका जाए एवं ऐसे प्रकरणों की जांच के लिए प्रथक जाँच संस्था का गठन किया जाए ;
९- सूचना के अधिकार के क्रियान्वयन के प्रभावी अनुश्रवण हेतु प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समिति में सूचना के अधिकार के क्षेत्र में  कार्य  करने   बाले समाजसेवियों का  ५० प्रतिशत   प्रतिनिधित्व हो एवं इस समिति की बैठक प्रत्येक माह के दूसरे  शनिवार को हो;
अपेक्षाओं सहित
उर्वशी शर्मा , आशीष श्रीवास्तव , राम स्वरुप यादव , ज्ञानेश पाण्डेय
सूचना का अधिकार हेल्प लाइन ८०८१८९८०८१,भ्रष्टाचार विरोधी हेल्प लाइन ९४५५५५३८३८
Email : rtimahilamanchup@gmail.com

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments Off on सूचना का अधिकार बचाओ अभियान उत्तर प्रदेश ” के तत्वावधान में दिनांक १५ जुलाई २०१२ को पूर्वाह्न ११ बजे से अपराह्न ३ बजे तक

भ्रष्टाचार को उजागर करने पर समाजसेविका के पति को झूठे मामलों में फँसाने की साजिश

Posted on 19 June 2012 by admin

समाज कल्याण विभाग द्वारा विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करने पर समाजसेविका उर्वशी शर्मा के पति को झूठे मामलों में फँसाने का मामला प्रकाश में आया है l

येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा द्वारा सूचना का अधिकार का प्रयोग कर उत्तर प्रदेश समाज कल्याण की एक  पूर्व मंत्री,कई प्रमुख सचिवों , सचिव , निदेशक  आदि की अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की शिकायत शपथ पत्र के माध्यम से की गयी है l

उर्वशी ने समाज कल्याण के निदेशक मिश्री लाल पासवान , प्राविधिक शिक्षा विभाग के सुरेन्द्र प्रसाद और राजेश चन्द्रा के समय के १४१६ लाख के घोटाले का पर्दाफाश किया l

समाज कल्याण विभाग यूँ तो अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए कार्य करता है लेकिन  विभाग द्वारा चलाये जा रहे एकमात्र पॉलीटेक्निक को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् से मान्यता न मिल पाने के कारण सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है उर्वशी ने सूचना का अधिकार का प्रयोग कर यह खुलासा किया है किन्तु समाज कल्याण विभाग  के अधिकारी कान में तेल डाले बैठे हैं l

विभाग में किये गए लाखों रुपयों के  मेस-घोटाले को उर्वशी द्वारा प्रमुखता से उजागर किया गया है किन्तु विभाग द्वारा दलित छात्रों के मेस-शुल्क में घोटाला करने बाले दोषियों के खिलाफ कार्यवाही न करके मामले की लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है l

उर्वशी द्वारा समाज कल्याण की अवैध नियुक्ति की भी शिकायत निदेशक से की गयी है लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है l

उर्वशी द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार के इन मुद्दों से घबराए समाज कल्याण के अधिकारियों नें उर्वशी शर्मा के पति संजय शर्मा , जो समाज कल्याण विभाग में कार्य करते हैं , को झूठे मामलों में फँसाने  की साजिश के तहत एक तरफ तो उनके खिलाफ जिलाधिकारी लखनऊ की जांच बैठा दी जो ११ मई को की गयी तो दूसरी तरफ उसी मामले में ०८ मई को निदेशक को पत्र जारी कर संजय शर्मा  के खिलाफ मुकद्दमा पंजीकृत कराने और आरोप पत्र शासन को भेजने को पत्र भेज दिया l

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments Off on भ्रष्टाचार को उजागर करने पर समाजसेविका के पति को झूठे मामलों में फँसाने की साजिश

Advertise Here
Advertise Here
-->