तीन माह बाद भी नहीं मिली जन सूचना अधिकार के तहत सूचना -मुख्य विकास अधिकारी से मांगी गई थी सूचना: सुलतानपुर14 फरवरी। 11 नवम्बर 2009 को राहत टाइम्स के जिला संबाददाता ने मनरेगा में हो रही गड़बड़ियो के तहत मुख्य विकास अधिकारी से जानकारी मांगी थी परन्तु तीन माह बीत जाने के बाद भी आज तक सूचनाएं नहीं मुहैया कराई गई। सूचनाओं के अन्तर्गत जो जानकारी मांगी गई थी उसमें जो सूचनाएं हैं उसमें - क्रमाक 1.पर मनरेगा का वार्षिक बजट का आबंटन योजना आरंभ से। - क्र0न.2 कान्टीजेन्सी में ग्राम पंचायतों में वितरित किए गये सामगि्रयों का विवरण- वित्तीयवर्षों के अनुक्रम में। - क्र0 न.3-वितरित किए सामग्रियो का भुगतान सम्बन्धी विवरण। - क्र0सं04-मनरेगा कानून के अन्तर्गत उपलब्ध नियुक्ति कर्मचारियों के मानदेय का मॉग, लिए गये कार्यका विवरण भुगतान का विवरण एवंसम्बन्धित नियमावली। - क्र0संभ् वर्तमान वित्तीय वर्ष 2009-10 में उपल्ब्ध धनराशि एवं ग्राम पंचायतों को धन राशि का आबटंन कानून के अनुसार समीक्षा... SC to appeal before itself on RTI row: New Delhi - The Supreme Court would file an appeal before itself in the next few days challenging the judgement of Delhi High Court holding that the office of the Chief Justice of India came under the ambit of the RTI Act. - The appeal, though drafted more than a month ago, could not be brought on record before the registry due to a technical glitch but the same would be formalised after the court reopens on Monday after a week-long Holi recess, official sources told PTI. - The sources said that CJI K G Balakrishnan had consultations with other apex court judges on the issue and the grounds taken by it in the appeal are identical to the stand taken in the High Court that disclosure of information held by the CJI would hamper independence of judiciary. - source :... जजों की पदोन्नति पर आपत्ति सम्बंधी सूचना देने मे आपत्ति: नई दिल्ली - सरकार ने उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नति के लिए भेजे गए उन जजों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है जिनके नाम पर राष्ट्रपति ने आपत्ति प्रकट की है। अब इस मामले पर केन्द्रीय सूचना आयोग को फैसला करना है। इस बारे में सूचना सामाजिक कार्यकर्ता एस.सी अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आर.टी.आई) के तहत मांगी थी। - प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्रवाल के आवेदन पर केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी ने कहा था कि मन्त्रालय के पास ऐसी कोई सूची नहीं है। यह आवेदन राष्ट्रपति सचिवालय के पास पहुंचा थाए जहां से इसे जवाब देने के लिए मन्त्रालय के पास भेज दिया गया था। आवेदन में पूछा गया था कि उच्चतम न्यायालय के लिए अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश पदों पर प्रोन्नति के लिए किन जजों का नाम कम से कम एक बारं लौटाया गया। -... फैसलों से जुड़े सवालों का जवाब देना मुश्किल: नई दिल्ली - सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरटीआई के मामलों को देख रहे उसके अधिकारियों से शीर्ष अदालत के फैसलों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती ,क्योकि उनके पास सीमित संसाधन हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत ने केन्द्रीय सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान कहा कि जहां तक केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) की बात है तो उनके लिए फैसलों पर कोई टिप्पणी कर पाना या इस बात की जानकारी देना बहुत मुश्किल होगा कि फैसले में ऐसा हुआ है या नहीं। यह काम वकील का है। कामत ने कहा कि सी.पी.आई.ओ के पास सीमित संसाधन और आधारभूत सुविधाएं है। - आरटीआई कानून के तहत रजिस्ट्री में जो उपलब्ध है, निश्चित रूप से वह देगा, लेकिन अगर इस अनुरोध को मान लिया गया तो हम कई परेशानियों में फंस जाएंगे। आरटीआई आवेदक सुभाष अग्रवाल ने आरटीआई कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से... निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में: निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में, अगर - एनटीएडीसीएल सूचना-अधिकार के दायरे में : मद्रास उच्च न्यायालय - हाल ही में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा न्यू तिरुपुर एरिया डिवेलपमट कार्पोरेशन लिमिटेड, (एनटीएडीसीएल) की याचिका खारिज कर दी गई है। कंपनी ने यह याचिका तमिलनाडु राज्य सूचना आयोग के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी जिसमें आयोग ने कंपनी को मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। - एक हजार करोड़ की लागत वाली एनटीएडीसीएल देश की पहली ऐसी जलप्रदाय परियोजना थी जिसे प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मार्च 2004 में प्रारंभ किया गया था। परियोजना में काफी सारे सार्वजनिक संसाधन लगे हैं जिनमें 50 करोड़ अंशपूजी, 25 करोड़ कर्ज, 50 करोड़ कर्ज भुगतान की गारंटी, 71 करोड़... कैग के ऑडिट दायरे में आएं एनजीओ - उपराष्ट्रपति: शिमला में राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के डायमंड जुबली समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने कहा है कि आरटीआई एक्ट के अधीन आने वाली सभी संस्थाओं, एनजीओ, सोसाइटी और ट्रस्ट को भी कैग के ऑडिट के दायरे में लाया जाना चाहिए। वर्तमान में 1971 एक्ट के तहत इन सभी संस्थाओं को कैग के ऑडिट के तहत लाए जाने का प्रावधान नहीं है। पब्लिक ऑडिट की प्रकिया में कई सुधार किए जाने की आवश्यकता अभी भी महसूस की जा रही है। - डॉ. अंसारी ने कहा कि ऑडिट प्रक्रिया में कई ऐसी खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाए तो जनता को सुशासन मुहैया कराया जा सकता है। अभी कैग के पास ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे वह राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को समन जारी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके। कैग के अधीन ऐसी संवैधानिक बॉडी का गठन किया जाना चाहिए जिसके पास ऐसे अधिकार निहित... 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को किया गया.: महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ पीठ वाराणसी द्वारा 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को विश्वविद्यालय में किया गया. दो दिवसीय सेमिनार में सूचना के अधिकार का विकास,भारतीय लोकतंत्र में योगदान, सूचना का अधिकार और भारत में भ्रष्टाचार,सामाजिक परिवर्तन और सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार और गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका, सूचना का अधिकार एवं जनमाध्यम आदि विषयो पर चर्चा की गयी. - कार्यक्रम के उदघाटन सत्र मे बतौर मुख्य अतिथि इन्दरा गांधी केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. सी.डी. सिंह ने सूचना अधिकार कानून को देश का सबसे महत्वपूर्ण कानून माना। कहा कि सूचना का अधिकार कानून तब मजबूत कहा जायेगा जब भारत का प्रत्येक नागरिक इस अधिकार का... आरटीआई के 25 आवेदन कार्यक्रम अधिकारी को दिया: सूचना का अधिकार अभियान द्वारा सूचना के अधिकारा एवं जनल¨कपाल बिल के समर्थन एवं कार्यवाही हेतु कार्यक्रम विकास भवन परिसर में आय¨जित किया गया। इस अवसर पर कुल 25 आवेदन जिला कार्यक्रम क¨ अधिकारी क¨ दिया गया। जिसमें आंगनवाड़ी सहित इस विभाग की तमाम य¨जनाअ¨ं के बारे में जानकारी मांगी गयी। ताकि इसका भैतिक सत्यापन कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जा सके। - इस म©के पर वक्ताअ¨ं ने कहा कि बीते 24 फरवरी क¨ जिला पंचायत राजअधिकारी क¨ 25 आवेदन प्रेषित किया गया लेकिन आज तक उसकी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। जबकि कानून में 30 दिन के भीतर सूचना देने का प्रावधान है। इस बाबत जिला पंचायत राजअधिकारी से पूछे जाने पर पहले त¨ आनाकानी किया लेकिन पि र एक सप्ताह के अन्दर सूचना देने की बात स्वीकारी। आवेदन के पश्चात के ब्लाक¨ं के प्रमिनिधिय¨ं ने निर्णय किया कि आगामी 5 अप्रैल क¨ जनल¨कपाल विधेयक क¨ लागू... राज्यपाल ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ पुस्तिका का विमोचन किया: सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगेगा - राज्यपाल - उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, श्री विजय शंकर शर्मा, श्री पारसनाथ गुप्ता, श्री स्वदेश कुमार, श्री सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी, श्री हाफिज उस्मान, श्री राजकेश्वर सिंह, श्री गजेन्द्र यादव तथा उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश गर्ग, राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण सहित अनेक गणमान्य...

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कार्यवाही न करने का मन बना चुके हैं जिले के अधिकारी

Posted on 04 September 2012 by admin

ऽ    हाल जन सूचना अधिकार का
एक माह बीत जाने के बाद भी प्रषासन के द्वारा कोई कार्य वाही न किया जाना यह  अधकारियो के उपर सवालिया निषान उठाता है और उनकी कार्य  षैली पर आम जन मानस को उॅगली उठाने को विवष करता र्है। ऐसा ही एक मामला राही जन सेवा संस्थान द्वारा अपर जिलाधिकारी प्रषासन  को दिए गये षिकायती पत्र के अनुसार उन्होंन्ेा एक माह पूर्व नगर में गरीबों के निवास के लिए मायावती सरकार ने आवासीय व्यवस्था के तहत मा0 काषीराम षहरी आवास  निर्मित किए गये थे। इस योजना के आवंटन में की गई अनियमितता के सम्बनध में कार्यवाही करने का प्रार्थना पत्र जन हित में दिया था। परन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी जब अपर जिलाधिकरी प्रषासन ने कोई कार्यवाही नहीं की तो पुनः प्रार्थना देकर कार्यवाही  से अवगत कराने  की जानकारी मांगी है।  जब इस बाबत राही  जन सेवा संस्थान से बात की गई तो उनका कहना  कि आवासीय आवंटन में हुए खेल को मैं पर्दाफास करके  पात्र व्यक्तियों कोे आवास दिलाने तक संघर्स करता रहूॅगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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एक निजी अस्पताल द्वारा सड़क की सीमा में किया गया है अतिक्रमण- उपजिलाधिकारी

Posted on 23 August 2012 by admin

ऽ    जन सूचना  अधिकार के तहत हुआ खुलासा
ऽ    राही जन सेवा संस्थान ने मांगी थी सूचना
ऽ    प्रषासन नहीं कर रहा  है कोई कार्यवाही

कुछ वर्ष पूर्व माननीय उच्च न्यायालय  में दायर एक जनहित याचिका के आदेष के अनुपालन में जिला प्रषासन द्वारा अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाकर जनपद के नगर क्षेत्र केा अतिक्रमण मुक्त कराया गया था। लेकिन कुछ अपवाद को छोड़ दंे ंतो उस अतिक्रमण अभियान के चपेट में अधिकतर गरीब,मजबूर, बेबस लोग ही आये थे। जो पटरी गुमटी पर फल, सब्जी, चाय-पान बेचकर किसी तरह अपने परिवार को पेट पाल रहे थे। रोज कमाओं रोज खाओ उनका नसीब बन चुका था। जो चाहकर भी अपने जीवको पार्जन के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं कर पा रहे थे। उन गरीब मजलूमों केा उजाड़ने के विरोध में ष्षहर के कुछ समाज सेवी आगे आये तो उनको जेल के पीछे डाल दिया गया। लेकिन इसी ष्षहर सभ्रान्त लोग खुले आम रोड पर 30-30 फिट का अतिक्रमण कर  प्रषासन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।  नगर में अतिक्रमण इस कदर बढ़ गया है कि रोड पर खुले आम अतिक्रमण कर लिया जाता है और अपनी पहुॅच के बल पर किसी भी कार्यवाही को अंजाम देने के पहले ही  कार्य को रूकवा दिया जाता है। इसी तरह का मामला एक संस्था द्वारा जन सूचना मांगने पर खुलाषा हुआ।  इसी सिलसिले में राही जन सेवा  संस्थान ने उपजिलाधिरी को रोड का अतिक्रमण करने वालों के उपर कार्यवाही करने का ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा कया गया है कि फैजाबाद रोड पर स्थित गोमती नगर में आस्था हास्पिटल द्वारा सड़क पर किया गया अतिक्रमण क्यों नहीं हटवाया गया जब कि जन सूचना के माध्यम से स्पष्ट हो गया है कि आस्था हास्पिटल द्वारा  चहर दीवारी बनाकर सढ़क के मध्य से 25 फिट की दूरी पर अतिक्रमण किया गया है।  आस्था हास्पिटल के मानचित्र में  स्वीकृत मानचित्र में रोड की चैड़ाई 55 फिट दर्षायी गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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जनसूचना अधिकार अधिनियम की जिले में उड़ रही धज्जियाॅ

Posted on 27 December 2011 by admin

वांछित सूचनाएं देने के बजाय दी जाती गोल मोल अधूरी सूचनाएं

जन सूचना अधिकार अधिनियम की जमकर धज्जियां उडाई जा रही है। वांछित सूचनाएं देने के बजाय गोलमोल व अधूरी सूचनाएं देना विभाग के आदत में शुमार हो गया है। जिससे आवेदकों को मजबूरन सूचना आयोग की शरण लेनी पड़ती है। आयोग द्वारा अर्थदण्ड कें साथ पारित आदेश के बाद भी, अधूरी सूचनाएं प्राप्त होने पर आवेदक ने पुनः जिला विद्यालय निरीक्षक से सूचना मांगी है।  मामला लम्भुआ बाजार स्थित सर्वोदय इण्टर कालेज में तैनात शिक्षक दिनेश कुमार सिंह की कालेज में नियुक्ति से जुड़ी सूचनाओं का है। दिनेश कुमार सिंह की नियुक्ति पत्रावली के सम्बन्ध में सूर्यपाल पुत्र मोहन उर्फ लहूरी निवासी नौगवां ने 19जूने 2009 को जिला विद्यालय निरीक्षक सुलतानपुर से सूचनाओं की मांग की थी । सूचनाएं न मिलने पर आवेदक ने आयोग की शरण ली। आयोग के नोटिस पर  जिला विद्यालय निरीक्षक ने विद्यालय के प्रबन्धक को सूचनाएं देने के लिए लिखा जबकि कुछ सूचनाएं मात्र जिला विद्यालय निरीक्षक से ही मिल सकती थी। फिर भी प्रबन्धक पर जिम्मेदारी थोंप कर जि0वि0नि0 ने अपना पल्ला झाड़ लिया। इतनी अधिक बीत जाने पर भी सूचनाएं न दिये जाने सूचना आयुक्त सुनील कुमार चैधरी ने अपने आदेश दिनांक 19अक्टूबर 2011का विपक्षी को 250/-रूपये प्रतिदिन के हिसाब से अर्थदण्ड निर्धारित करते हुए जो अधिकतम 25000/-रूपये हो सकती है, सूचनाएं देने के आदेश देते हुए मामले को निर्णीत कर दिया। तब विपक्षी ने प्रबन्धक द्वारा दी गयी सूचना उपलब्ध करायी। जिससे मात्र प्रबन्धक ने अपने स्तर से सूचनाएं तो दे दी किन्तु जिला विद्यालय निरीक्षक ने अपने स्तर की सूचनाओं के सम्बन्ध में चुप्पी साध ली है। इस सम्बन्ध में आवेदक सूर्यपाल ने पुनः जिला विद्यालय निरीक्षक से सूचनाएं मांगी है। माना जाता है कि श्री दिनेश कुमार सिंह की हुई अवैध नियुक्ति की पत्रावली कार्यालय से गायब करा दी गयी है। विद्यालय के प्रबन्धक स्तर से मिली सूचना से यह स्पष्ट होता है कि उनकी नियुक्ति के समय उनके सगे चाचा श्री राजेश्वरी सिंह विद्यालय की प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारी थे। जबकि किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जा सकती है जिसका कोई निकट सम्बन्धी प्रबन्धकारिणी समिति का पदाधिकारी हो। आवेदक सूर्यपाल ने इस प्रतिनिधि को बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक जब तक सूचनाएं नहीं दे देते हैं तब तक वह निराश नहीं बैठेगा इसके लिए सभी हरसम्भव प्रयास होता रहेगा ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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आरटीआई के 25 आवेदन कार्यक्रम अधिकारी को दिया

Posted on 01 April 2011 by admin

सूचना का अधिकार अभियान द्वारा सूचना के अधिकारा एवं जनल¨कपाल बिल के समर्थन एवं कार्यवाही हेतु कार्यक्रम विकास भवन परिसर में आय¨जित किया गया। इस अवसर पर कुल 25 आवेदन जिला  कार्यक्रम क¨ अधिकारी क¨ दिया गया। जिसमें आंगनवाड़ी सहित इस विभाग की तमाम य¨जनाअ¨ं के बारे में जानकारी मांगी गयी। ताकि इसका भैतिक सत्यापन कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जा सके।

01इस म©के पर वक्ताअ¨ं ने कहा कि बीते 24 फरवरी क¨ जिला पंचायत राजअधिकारी क¨ 25 आवेदन प्रेषित किया गया लेकिन आज तक उसकी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। जबकि कानून में 30 दिन के भीतर सूचना देने का प्रावधान है। इस बाबत जिला पंचायत राजअधिकारी से पूछे जाने पर पहले त¨ आनाकानी किया लेकिन पि र एक सप्ताह के अन्दर सूचना देने की बात स्वीकारी। आवेदन के पश्चात के ब्लाक¨ं के प्रमिनिधिय¨ं ने निर्णय किया कि आगामी 5 अप्रैल क¨ जनल¨कपाल विधेयक क¨ लागू कराने हेतु आमरण अनशन पर बैठने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे के समर्थन में अभियान कार्यक्रम आय¨जित करेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता गांपाल सिंह एवं संचालन रेनू सिह तथा ब्लाक प्रतिनिधि मुन्नी बेगम,नीलम सिंह, अनिल च©हान, देवेन्द्र कुमार सिंह, जनार्दन मिश्रा, निसार अहमद खान, भारत अटल,अकरम, सन्त¨ष, बलिराम आदि म©जूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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कार्यशाला आयोजित

Posted on 26 December 2010 by admin

जौनपुर। सिपाह स्थित आजाद शिक्षा केन्द्र पर सूचना का अधिकार अभियान द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका प्रमुख उद्देश्य सूचना के अधिकार कानून के प्रति स्वयं सेवी संस्थाओं को प्रशिक्षित कर समुदाय स्तर पर विभिन्न समस्याओं के प्रति जवाबदेही हेतु सूचना प्राप्ति को सरल तथा सुगम बनानें हेतु प्रयास करना था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कानूनविद डा0 पी0सी विश्वकर्मा ने कहा कि सूचना पाना हर व्यक्ति का अधिकार है, उसका हक है, सूचना प्राप्ति के लिए लोगों को इस अधिकार को मिशन बनाना होगा। वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में स्वयं सेवी संगठनों की भूमिका और जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे समुदायिक स्तर पर इन्हें जागरूकता लाना होगा। कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक आशा ट्रस्ट वाराणसी के बल्लभाचार्य रहे उन्होने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सभी सम्बन्धित अधिनियमों के प्रति प्रशिक्षित किया। कार्यशाला में डा0 भारत अटल गोपाल जी,, निसार अहमद खान, रेनू सिंह, जनार्दन मिश्र एडवोकेट, देवेन्द्र सिंह, रोहिताश्व कुंवर, श्रीराम पाल, उर्मिला गौतम, अकरम अली, शोभना स्मृति, सहित बड़ी संख्या में स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। यह जानकारी अभियान के मीडिया प्रभारी अजित यादव ने दिया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रदेश में सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को जन सूचना अधिनियम 2005 के प्रावधानों के बाहर कर दिया गया है

Posted on 07 October 2010 by admin

लखनऊ।  सामाजिक कार्यकर्ता डा0 नूतन ठाकुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि  उत्तर प्रदेश में सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को जन सूचना अधिनियम 2005 के प्रावधानों के बाहर कर दिया गया है. इसे जन सूचना अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 के अधीन दी गई शक्तियों के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया है. जानकारी के अनुसार इसे प्रमुख सचिव, सतर्कता, उत्तर प्रदेश के दिनांक 22 सितम्बर 2010 के आदेश  से  जारी  किया गया है. तर्क यह दिया गया  है कि चूंकि इन विभागों में अधिकायियों के विरुद्ध जांच तथा विवेचना चलते रहते हैं और इस प्रकार से सूचना दिए जाने से वे गलत प्रकार से प्रभावित हो सकते हैं.

धारा 24 केन्द्र तथा राज्य सरकारों को यह अधिकार प्रदान करता है कि सुरक्षा तथा आसूचना संगठनों को अनुसूची दो में  रख पर उन्हें सूचना के अधिकार के प्रावधानों के बाहर रख सकती है पर इसमें यह बात साफ तौर पर लिखा हुआ है कि इसमें भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के मामले शामिल नहीं होंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इतने स्पष्ट प्रावधान के बावजूद सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को सूचना के अधिकार के बाहर कर दिया है जो सीधे-सीधे सूचना के अधिकार के प्रावधानों से छेड़-छाड़ और खिलवाड़ है. साथ ही यह इस अधिनियम की  मूल भावना पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के भी विरोध में है.

नेशनल आर टी आई फोरम उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश की पूरी तरह निन्दा करता हैं और यह मानता है कि इसके फलस्वरूप पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के विरुद्ध स्थिति बन जाती है. हम उत्तर प्रदेश सरकार तथा  माननीय राज्यपाल से इस आदेश पर पुनर्विचार करते हुए इसे वापस लेने की मांग करते हैं. हमने इस हेतु उत्तर प्रदेश सरकार तथा  माननीय राज्यपाल को अपना प्रतिवेदन भी प्रेषित किया है. किन्तु ऐसा नहीं होने पर हम समस्त लोकतन्त्रात्मक विधियों से इसका विरोध करेंगे और आवश्यकता पड़ने  पर विधिक कार्यवाही भी करेंगे क्योंकि हमारा मानना है कि यह कार्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में सीधे तौर पर गलत सन्देश प्रेषित करेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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सूचना अधिकारी श्री अकील हैदर आज सेवानिवृत्त हुये

Posted on 30 June 2010 by admin

लखनऊ – मुख्यमन्त्री कार्यालय से सम्बद्ध सूचना विभाग के सूचना अधिकारी श्री अक़ील हैदर आज सेवानिवृत्त हो गये हैं। विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों एवं समस्त सूचना अधिकारियों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी।

श्री हैदर ने सूचना विभाग में 1977 में अपनी सेवा प्रारम्भ की थी। अपने 33 वर्षो के कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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कृपया बताएं : मन्दाकिनी सफाई के लिए कब और कितना पैसा मिला सरकार से

Posted on 15 May 2010 by admin

चित्रकूट

अभाविप जिलाध्यक्ष ने सूचना अधिकार के तहत मांगी सूचनाएं

पौराणिक काल से ही जिले के लोगों को जीवन प्रदान करने वाली पवित्रा मन्दाकिनी को प्रदूषण मुक्त कर उसे वास्तविक स्वरूप में बनाए रखने के लिए अब लोग जागरूक होने लगे हैं। कुछ लोग इसकी साफ-सफाई में जुटे हुए है वहीं कुछ लोग अब यह पता लगाने की जुगत भिड़ाने में लग गए हैं कि इसकी सफाई के लिए शासन से अब तक कितना धन मिला और उस धन का कहां उपयोग हुआ। इसके लिए अ.भ.वि.प. के जिलाध्यक्ष ने जनसूचना अधिकार अनिधिनियम के तहत जिला जन सूचना अधिकारी को पत्रा लिख कुछ बिन्दुओं पर सूचनाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि निर्धारित समय में उन्हें सूचनाएं नहीं मिली तो वे उच्च स्तर से सूचनाएं मांगेगे।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला अध्यक्ष पद्मनाभ उपाध्याय ने जन सूचना अधिकार अधिकनियम के तहत जिला जन सूचना अधिकारी को रजिस्टर्ड डाक पत्रा भेजा है। जिसमें उन्होंने जिला वासियों को जीवन देने वाली पवित्रा मन्दाकिनी नदी की सफाई के लिए शासन से मिले धन की जानकारी चाही है। इसके अलावा उन्होंने “सीवेज-ट्रीटमेंट प्लांट´´  योजना के तहत जिले को सरकार द्वारा उपलब्ध कराए धन का विवरण देने के साथ-साथ उस धन का कितना उपयोग और कहां उपयोग किया गया यह सूचना उपलब्ध कराने की मांग की है। इसके अलावा मन्दाकिनी नदी के घाटों की सफाई के लिए सम्बंधित विभागों को मिलने वाले वाषिZक बजट और विभगावार मन्दाकिनी सफाई में खर्च हुए धन का ब्योरा भी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि यदि समय पर विभाग द्वारा सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराई तो वे उच्चस्तर के अधिकारियों को पत्रा लिख इसकी जानकारी करेंगे। यदि फिर भी उन्हें उनके द्वारा मांगी गई सूचनाएं नहीं मिलती तो विद्यार्थी परिषद आन्दोलन कर मन्दाकिनी सफाई के लिए सरकार से मिले धन की पाई-पाई का हिसाब लेगा।

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जन सूचना उपलब्ध कराये जाने की मांग

Posted on 15 May 2010 by admin

सुलतानपुर – जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सभासद अजहर जमाल उर्फ सोनू ने अपर जिलाधिकारी को शपथ पत्र के साथ चार बिन्दुओं पर सूचना उपलब्ध कराये जाने की मांग की है। सभासद श्री सोनू ने जन सूचना अधिकारी अपर जिलाधिकारी को दिये गये पा्रर्थना पत्र में चार प्रमूख बिन्दंओं पर जन सूचना उपलब्ध कराये जाने की मांग की है।  नगर पालिका क्षेत्र में नर्सिंग होम की संख्या निजी अस्पताल, होटल, रेसटोरेन्ट व कामप्लेक्स दर्ज हैं।  उपरोक्त से सम्बन्धित  करो का निर्धारण  में नगर पालिका ने क्या आधार बनाया  है। नगर स्थित सुपर मार्केट की संख्या कितनी है और उन दुकानों का आबंटन किसके नाम से है। उपरोक्त दुकानों का ब्योरा के साथ आय की भी मांग की हैं

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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भारतीय प्रबंध संस्थानों के आर0टी0आई0 सम्बंधित वेबपृष्ठ कई स्थानों पर अपूर्ण

Posted on 17 April 2010 by admin

लखनऊ- अमिताभ ठाकुर अध्यक्ष, नेशनल आर0टी0आई0 फोरम ने बताया है कि नेशनल आर0टी0आई0 फोरम द्वारा सभी भारतीय प्रबंध संस्थानों (आई0आई0एम0) के आर0टी0आई0 सम्बंधित वेबपृश्ठों को देखे जाने पर एक बात जो हर जगह अनुपस्थित मिली वह यह कि इनमें से किसी भी संस्थान द्वारा अपने यहॉ सहायक प्रोफेसर, एसोशियेट प्रोफेसर तथा प्रोफेसर पद से सम्बंधित न्यूनतम अह्रतायें नहीं दी गई हैं। साथ ही इन पदों पर चयन की प्रक्रिया एवं नियमावली का भी कहीं उल्लेख नहीं है। ये ऐसे तथ्य हैं जिनके सम्बंध में जानकारी आम नागरिक को दिये जाने से इनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ने में सहायता मिलेगी। इस सम्बंध में विशेशकर आई0आई0टी0 कानपुर के बेवसाइट  www.iitk.ac.in का उल्लेख किया जा सकता है जिसके डीन ऑफ फैकल्टी एफेयर्स वेबपेज  www.iitk.ac.in/dofa पर अत्यन्त विस्तार से इनके विवरण प्रस्तुत किये गये हैं।

इसके अतिरिक्त आई0आई0एम0 लखनऊ के वेबसाइट में यह पाया गया है कि यह कई स्थानों पर अपूर्ण है। कर्मियों के अधिकार तथा कर्तव्य शीर्षक के अंर्तगत मात्र इतना लिखा हुआ है कि एमओए के अनुसार। किन्तु इसके साथ संचालक सोसायटी के मेमारेन्डम ऑफ अण्डरस्टैण्डिंग तथा नियमावलि संलग्न नहीं हैं। नीति (नार्म) शीर्षक के अन्तर्गत लिखा गया है- भारत सरकार तथा संस्थान द्वारा बनाये गये नीति (नार्म) के अनुसार किन्तु इन नियमों का प्रस्तुतिकरण नहीं है।  नियम, विनियम, अनुदेश तथा निर्देश शीर्षक के अधीन खरीदारी मैनुअल जैसे कई अभिलेखों का उल्लेख है तथा यह कहा गया है कि संस्थान के वेवसाइट  www.iiml.ac.in पर विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी पर संस्थान के साइट पर इनमें से कई अभिलेख नहीं हैं।

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) के अनुसार सभी लोक अधिकारियों से यह अपेक्षित है कि इस अधिनियम के पारित होने के 120 दिनों के अन्दर सारी आवश्यक सूचनायें कम्प्यूटरिकृत करके सर्वसामान्य के लिये सुलभ कर देंगे तथा धारा 4 (2) के अनुसार लोक प्राधिकारी का यह उत्तरदायित्व है कि वह लगातार यह प्रयत्न करे कि वह इंटरनेट तथा अन्य माध्यमों से अधिक से अधिक सूचनायें इस प्रकार उपलब्ध करा दे कि आम जन को सूचना का अधिकार अधिनियम का कम से कम उपयोग करने की आवश्यकता हो। ऐसा प्रतीत होता है कि इन प्रकरणों में उपरोक्त नियमों के अनुपालन में कई रिक्तियॉ हैं। आर0टी0आई0 फोरम द्वारा अहमदाबाद, बंगलूरू, कोलकाता, लखनऊ , इन्दौर, कोजिकोड तथा शिलांग स्थित इन संस्थानों तथा मानव संसाधन विकास मन्त्रालय को इस सम्बंध में अवगत कराया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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