नई दिल्ली – सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरटीआई के मामलों को देख रहे उसके अधिकारियों से शीर्ष अदालत के फैसलों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती ,क्योकि उनके पास सीमित संसाधन हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत ने केन्द्रीय सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान कहा कि जहां तक केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) की बात है तो उनके लिए फैसलों पर कोई टिप्पणी कर पाना या इस बात की जानकारी देना बहुत मुश्किल होगा कि फैसले में ऐसा हुआ है या नहीं। यह काम वकील का है। कामत ने कहा कि सी.पी.आई.ओ के पास सीमित संसाधन और आधारभूत सुविधाएं है।
आरटीआई कानून के तहत रजिस्ट्री में जो उपलब्ध है, निश्चित रूप से वह देगा, लेकिन अगर इस अनुरोध को मान लिया गया तो हम कई परेशानियों में फंस जाएंगे। आरटीआई आवेदक सुभाष अग्रवाल ने आरटीआई कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से यह जानना चाहा था कि क्या उसने केन्द्रीय गृहमन्त्रालय को पद्म पुरस्कारों के सिलसिले में कोई समिति गठित करने का निर्देश दिया है। शीर्ष न्यायालय ने उन्हें यह जानकारी देने से इनकार कर दिया।
देवदत्त कामत इसी मामले में सीआईसी में सुप्रीम कोर्ट का पक्ष रख रहे थे। कामत ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने पद्म पुरस्कारों के बारे में निर्णय लेने के लिए विख्यात लोगों की एक समिति गठित करने का सुझाव दिया। मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि देवदत्त कामत ने आरटीआई आवेदक के सवाल का जवाब दे दिया है।