नई दिल्ली – आरटीआई याचिका के जवाब पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में सूचना गोपनीय है। कोर्ट ने इससे पहले इस बात से इनकार किया था कि सीबीआई ने मामले में प्रधान न्यायाधीश से संपर्क किया था।
अभिषेक शुक्ला की ओर से दायर याचिका में यह जानकारी मांगी गई थी कि मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति निर्मल यादव पर मुकदमे की अनुमति के लिए सीबीआई ने देश के प्रधान न्यायाधीश से संपर्क किया था या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी राजपाल अरोरा ने आरटीआई जवाब में कहा कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी गोपनीय है और इसे सूचना का अधिकार कानूनए 2005 की धारा 8 (1) के तहत उजागर करने से छूट प्राप्त है। अरोरा ने कहा कि यह जानकारी सी.पी.आई.ओ, सुप्रीम कोर्ट भारत के नियन्त्रण में नहीं है। इस जवाब को सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव एमपी भद्रन द्वारा पहले जारी एक बयान का करारा जवाब माना जा रहा है,जिसमें उन्होंने कहा था कि सीबीआई ने मामले में प्रधान न्यायाधीश से संपर्क नहीं किया।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये से भरा बैग पहुंचने के बाद इस कथित घोटाले में न्यायमूर्ति निर्मल यादव का नाम आया था। कहा जा रहा था कि नामों के सन्देह में यह बैग वहां पहुंचा दिया गया। न्यायमूर्ति कौर ने मामले की खबर पुलिस को दी थी। बाद में चण्डीगढ़ प्रशासन के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। प्रधान न्यायाधीश ने मामले में निगरानी के लिए तीन न्यायाधीशों की एक समिति गठित की थी। खबरों के मुताबिक तत्कालीन अटार्नी जनरल मिलन बनर्जी ने कानून मन्त्रालय को सलाह दी थी कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है। सीबीआई की एक कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी ने मुकदमा शुरू करने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश से मंजूरी नहीं मिलने के बाद समाप्ति रिपोर्ट दाखिल की है। इस