तीन माह बाद भी नहीं मिली जन सूचना अधिकार के तहत सूचना -मुख्य विकास अधिकारी से मांगी गई थी सूचना: सुलतानपुर14 फरवरी। 11 नवम्बर 2009 को राहत टाइम्स के जिला संबाददाता ने मनरेगा में हो रही गड़बड़ियो के तहत मुख्य विकास अधिकारी से जानकारी मांगी थी परन्तु तीन माह बीत जाने के बाद भी आज तक सूचनाएं नहीं मुहैया कराई गई। सूचनाओं के अन्तर्गत जो जानकारी मांगी गई थी उसमें जो सूचनाएं हैं उसमें - क्रमाक 1.पर मनरेगा का वार्षिक बजट का आबंटन योजना आरंभ से। - क्र0न.2 कान्टीजेन्सी में ग्राम पंचायतों में वितरित किए गये सामगि्रयों का विवरण- वित्तीयवर्षों के अनुक्रम में। - क्र0 न.3-वितरित किए सामग्रियो का भुगतान सम्बन्धी विवरण। - क्र0सं04-मनरेगा कानून के अन्तर्गत उपलब्ध नियुक्ति कर्मचारियों के मानदेय का मॉग, लिए गये कार्यका विवरण भुगतान का विवरण एवंसम्बन्धित नियमावली। - क्र0संभ् वर्तमान वित्तीय वर्ष 2009-10 में उपल्ब्ध धनराशि एवं ग्राम पंचायतों को धन राशि का आबटंन कानून के अनुसार समीक्षा... SC to appeal before itself on RTI row: New Delhi - The Supreme Court would file an appeal before itself in the next few days challenging the judgement of Delhi High Court holding that the office of the Chief Justice of India came under the ambit of the RTI Act. - The appeal, though drafted more than a month ago, could not be brought on record before the registry due to a technical glitch but the same would be formalised after the court reopens on Monday after a week-long Holi recess, official sources told PTI. - The sources said that CJI K G Balakrishnan had consultations with other apex court judges on the issue and the grounds taken by it in the appeal are identical to the stand taken in the High Court that disclosure of information held by the CJI would hamper independence of judiciary. - source :... जजों की पदोन्नति पर आपत्ति सम्बंधी सूचना देने मे आपत्ति: नई दिल्ली - सरकार ने उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नति के लिए भेजे गए उन जजों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है जिनके नाम पर राष्ट्रपति ने आपत्ति प्रकट की है। अब इस मामले पर केन्द्रीय सूचना आयोग को फैसला करना है। इस बारे में सूचना सामाजिक कार्यकर्ता एस.सी अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आर.टी.आई) के तहत मांगी थी। - प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्रवाल के आवेदन पर केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी ने कहा था कि मन्त्रालय के पास ऐसी कोई सूची नहीं है। यह आवेदन राष्ट्रपति सचिवालय के पास पहुंचा थाए जहां से इसे जवाब देने के लिए मन्त्रालय के पास भेज दिया गया था। आवेदन में पूछा गया था कि उच्चतम न्यायालय के लिए अथवा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश पदों पर प्रोन्नति के लिए किन जजों का नाम कम से कम एक बारं लौटाया गया। -... फैसलों से जुड़े सवालों का जवाब देना मुश्किल: नई दिल्ली - सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरटीआई के मामलों को देख रहे उसके अधिकारियों से शीर्ष अदालत के फैसलों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती ,क्योकि उनके पास सीमित संसाधन हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत ने केन्द्रीय सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान कहा कि जहां तक केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) की बात है तो उनके लिए फैसलों पर कोई टिप्पणी कर पाना या इस बात की जानकारी देना बहुत मुश्किल होगा कि फैसले में ऐसा हुआ है या नहीं। यह काम वकील का है। कामत ने कहा कि सी.पी.आई.ओ के पास सीमित संसाधन और आधारभूत सुविधाएं है। - आरटीआई कानून के तहत रजिस्ट्री में जो उपलब्ध है, निश्चित रूप से वह देगा, लेकिन अगर इस अनुरोध को मान लिया गया तो हम कई परेशानियों में फंस जाएंगे। आरटीआई आवेदक सुभाष अग्रवाल ने आरटीआई कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से... निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में: निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में, अगर - एनटीएडीसीएल सूचना-अधिकार के दायरे में : मद्रास उच्च न्यायालय - हाल ही में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा न्यू तिरुपुर एरिया डिवेलपमट कार्पोरेशन लिमिटेड, (एनटीएडीसीएल) की याचिका खारिज कर दी गई है। कंपनी ने यह याचिका तमिलनाडु राज्य सूचना आयोग के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी जिसमें आयोग ने कंपनी को मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। - एक हजार करोड़ की लागत वाली एनटीएडीसीएल देश की पहली ऐसी जलप्रदाय परियोजना थी जिसे प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मार्च 2004 में प्रारंभ किया गया था। परियोजना में काफी सारे सार्वजनिक संसाधन लगे हैं जिनमें 50 करोड़ अंशपूजी, 25 करोड़ कर्ज, 50 करोड़ कर्ज भुगतान की गारंटी, 71 करोड़... कैग के ऑडिट दायरे में आएं एनजीओ - उपराष्ट्रपति: शिमला में राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के डायमंड जुबली समारोह के अवसर पर उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने कहा है कि आरटीआई एक्ट के अधीन आने वाली सभी संस्थाओं, एनजीओ, सोसाइटी और ट्रस्ट को भी कैग के ऑडिट के दायरे में लाया जाना चाहिए। वर्तमान में 1971 एक्ट के तहत इन सभी संस्थाओं को कैग के ऑडिट के तहत लाए जाने का प्रावधान नहीं है। पब्लिक ऑडिट की प्रकिया में कई सुधार किए जाने की आवश्यकता अभी भी महसूस की जा रही है। - डॉ. अंसारी ने कहा कि ऑडिट प्रक्रिया में कई ऐसी खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाए तो जनता को सुशासन मुहैया कराया जा सकता है। अभी कैग के पास ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे वह राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को समन जारी करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके। कैग के अधीन ऐसी संवैधानिक बॉडी का गठन किया जाना चाहिए जिसके पास ऐसे अधिकार निहित... 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को किया गया.: महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ पीठ वाराणसी द्वारा 'सूचना का अधिकार २००५ के सामाजिक प्रभाव' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन १५ -१६ जनवरी को विश्वविद्यालय में किया गया. दो दिवसीय सेमिनार में सूचना के अधिकार का विकास,भारतीय लोकतंत्र में योगदान, सूचना का अधिकार और भारत में भ्रष्टाचार,सामाजिक परिवर्तन और सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार और गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका, सूचना का अधिकार एवं जनमाध्यम आदि विषयो पर चर्चा की गयी. - कार्यक्रम के उदघाटन सत्र मे बतौर मुख्य अतिथि इन्दरा गांधी केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. सी.डी. सिंह ने सूचना अधिकार कानून को देश का सबसे महत्वपूर्ण कानून माना। कहा कि सूचना का अधिकार कानून तब मजबूत कहा जायेगा जब भारत का प्रत्येक नागरिक इस अधिकार का... आरटीआई के 25 आवेदन कार्यक्रम अधिकारी को दिया: सूचना का अधिकार अभियान द्वारा सूचना के अधिकारा एवं जनल¨कपाल बिल के समर्थन एवं कार्यवाही हेतु कार्यक्रम विकास भवन परिसर में आय¨जित किया गया। इस अवसर पर कुल 25 आवेदन जिला कार्यक्रम क¨ अधिकारी क¨ दिया गया। जिसमें आंगनवाड़ी सहित इस विभाग की तमाम य¨जनाअ¨ं के बारे में जानकारी मांगी गयी। ताकि इसका भैतिक सत्यापन कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जा सके। - इस म©के पर वक्ताअ¨ं ने कहा कि बीते 24 फरवरी क¨ जिला पंचायत राजअधिकारी क¨ 25 आवेदन प्रेषित किया गया लेकिन आज तक उसकी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। जबकि कानून में 30 दिन के भीतर सूचना देने का प्रावधान है। इस बाबत जिला पंचायत राजअधिकारी से पूछे जाने पर पहले त¨ आनाकानी किया लेकिन पि र एक सप्ताह के अन्दर सूचना देने की बात स्वीकारी। आवेदन के पश्चात के ब्लाक¨ं के प्रमिनिधिय¨ं ने निर्णय किया कि आगामी 5 अप्रैल क¨ जनल¨कपाल विधेयक क¨ लागू... राज्यपाल ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ पुस्तिका का विमोचन किया: सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगेगा - राज्यपाल - उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, श्री विजय शंकर शर्मा, श्री पारसनाथ गुप्ता, श्री स्वदेश कुमार, श्री सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी, श्री हाफिज उस्मान, श्री राजकेश्वर सिंह, श्री गजेन्द्र यादव तथा उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश गर्ग, राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण सहित अनेक गणमान्य...

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IIT Lucknow पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम दाखिले की प्रक्रिया में भारी फेरबदल

Posted on 13 April 2010 by admin

लखनऊ।भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ द्वारा संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम दाखिले की प्रक्रिया में भारी फेरबदल की बात बतायी जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब साक्षात्कार तथा ग्रुप डिसकसन हेतु तैयार किये गये टीम के सदस्यों के नाम दूसरे सदस्य परस्पर नहीं जान सकेंगे। कहा जा रहा है कि ऐसा होने पर पूरी प्रक्रिया कम पारदशीZ तथा अपनी सुविधाओं के अनुसार संचालित करने योग्य बन गई है जिसमें कभी भी टीम के सदस्य बदले जा सकते हैं। साथ ही अब अभ्यर्थियों को जी0डी0 तथा साक्षत्कार में दिये जा रहे अंकों का नियम भी परिवर्तित कर दिया गया है। पहले ये अंक परीक्षक टीम द्वारा मौके पर ही दिये जाते थे पर नये नियम के अनुसार अब सारी कापियॉ तथा दस्तावेज एकत्र कर संस्थान में लाये जायेंगे तथा इनका केन्द्रीय स्तर पर परीक्षण होगा। जानकारों का कहना है कि इस व्यवस्था में गड़बड़ी करना आसान हो जाता है जहॉ अन्त में सुविधानुसार अभ्यर्थियों के अंक कम या ज्यादा किये जा सकते है।
ये जानकारी नेशनल आर0टी0आई0 फोरम को मिली हैं। आर0टी0आई0 फोरम की ओर से इन पर गम्भीरता से ध्यान देते हुये अनुपम पाण्डेय द्वारा भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ के जन सूचना अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचनायें मांगी गई हैं। साथ ही फोरम द्वारा मानव संसाधन मन्त्रालय से भी इस गम्भीर विशय पर तत्काल न्यायोचित कार्य करने हेतु पत्राचार किया गया है।

डा0 नूतन ठाकुर,
कनवेनर,
नेशनल आर0टी0आई0 फोरम, ने ये जानकारी  द  ी   हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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सूचना के अधिकार को राष्ट्रहित में शस्त्र की तरह इस्तेमाल करें

Posted on 12 April 2010 by admin

लखनऊ – सूचना आयोग अगर शिकायतकर्ता को तीस दिनों के अन्दर उसकी शिकायत पर सूचना नहीं देता है या उसको राहत देने में विफल रहता है तो सूचना का अधिकार का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा। अगर सरकार इस अधिनियम के त्वरित क्रियान्वयन के प्रति गम्भीर है तो उसे निगरानी प्रणाली का सहारा लेना पड़ेगा। वैसे भी इस अधिनियम की धारा 25 के अन्र्तगत निगरानी प्रणाली की व्यवस्था भी की गई है लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।

एक्शनग्रुप फॉर पीपुल्स राईट टू इन्फार्मेशन के छठवें राष्ट्रीय सम्मेलन एवूं कार्यशाला में “सूचना का अधिकार अधिनियम 2005: क्रियान्वयन, समस्याएं एवं समाधान´´ विषय पर आज यहां एनबीआरआई सभागार में वक्ताओं ने उक्त विचार व्यक्त किए। इस कार्यशाला में 200 से अधिक एन जी ओ और भूतपूर्व न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ, न्यायमूर्ति ड़ी.पी सिंह, भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारी योगेन्द्र नारायण, एक्शनग्रुप फॉर पीपुल्स राईट टू इन्फार्मेशन के चीफ कोआर्डिनेटर अफजाल अंसारी, सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र दुबं और पत्रकार ओम प्रकाश त्रिपाठी ने सूचना के अधिकार पर बड़ी बेबाकी से अपने-अपने विचार रखे।

इस अवसर पर भूतपूर्व न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम हमारा एक शस्त्र है और इसे राष्ट्रहित में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। समय से सूचना मिलना महत्वपूर्ण है और धारा 25 में प्रावधान है कि सरकार समय पर सूचना उपलब्ध कराएं। यह अधिनियम लोकतन्त्र को सशक्त और मजबूत करने की प्रक्रिया निधारिZत करता है। इसका गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। यह अधिनियम समय के साथ-साथ प्रभावी हो जाएगा। लोकतन्त्र में लोंगो की सहभागिता होनी चाहिए। लोकतन्त्र में सूचना का अधिकार इसलिए जरुरी है ताकि सरकार में जनता की सहभागिता हो सके और पारदर्शिता कायम भी रह सके। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 1968 से लोकपाल बिल चर्चा में है लेकिन आज तक नहीं बन सका। सूचना का अधिकार अधिनियम में खामिया कम नहीं है जैसे कि शिकायतकर्ता सूचना आयुक्त के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं कर सकता है। बस वह केवल हाईकोर्ट जा सकता है और हकीकत यह है कि सूचना आयोग में काम होता नहीं, मुकदमों का निस्तारण होता नहीं और आयोग के खुलने और बन्द होने या अधिकारी-कर्मचारी के आने जाने का कोई समय निधारिZत नहीं है।

इस अधिनियम पर पीएचडी करने वाले भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारी योगेन्द्र नारायण ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इसमें व्यवस्था सबके सामने है, बस इसको समझने और क्रियान्चयन करने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि 2002 में नौ राज्यों ने अपना सूचना के अधिकार का कानून बना लिया था लेकिन उसको लागू किया गया 2005 में वो भी सूचना का अधिकार अधिनियम का नाम देकर। सरकार का काम है कि इसके प्रति जनता में जागरुकता पैदा करे लेकिन जागरुकता पैदा करने के लिए एन जी ओ और मीडिया को ही आगे आना पड़ेगा और इस महत्वपूर्ण भूमिका को निभाना पड़ेगा। उन्होंने लोंगो की सुविधा के लिए सूचना अधिकारियों की एक उायरेक्टरी छपवाने का भी सुझाव दिया।

एक्शनग्रुप फॉर पीपुल्स राईट टू इन्फार्मेशन के चीफ कोआर्डिनेटर अफजाल अंसारी ने मेहमानों का स्वागत किया और अपने विचार रखते हुए कहा कि इस अधिनियम में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और लोंगो की भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के लागू होने से पूर्व जनता को विकास के कार्यों और सरकार के कार्यकलापों में हस्ताक्षेप का अधिकार नहीं था लेकिन इस अधिनियम ने हमको यह अधिकार दिलाया है। इससे भ्रप्टाचार कम होगा और साथ ही विकास के रास्ते खुलेगे लेकिन इसको सफल बनाने के लिए जरुरी है कि इसे ईमानदारी से लागू किया जाएं और लोगां में जागरुकता पैदा की जाएं।

न्यायमूर्ति डी पी सिंह ने कहा कि इस अधिनियम से सरकार के कार्यों में बदलाव आ सकता है। मुकदमों का समय पर निस्तारण होना चाहिए और धारा 25 के अनुसार सरकार को समय पर सूचना का जवाब देना चाहिए और लोगो का इसका राष्ट्रहित में प्रयोग करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र दुबं ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम अपने आप में एक क्रान्ति है। इसका देशहित में एक हथियार के रुप में प्रयोग करना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सूचना आयोग की डबल बेंच फिर से सुनवाई करेगी

Posted on 29 March 2010 by admin

देहरादून – नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा सूचना आयोग का फैसला रद किए जाने के बाद बहुचर्चित पैसिफिक होटल नक्शा प्रकरण में अब नया मोड़ आ गया है। सूचना आयोग की डबल बेंच मामले की फिर से सुनवाई करेगी।

फरवरी 09 में राज्य सूचना आयोग ने तय समयावधि में पैसिफिक होटल के नक्शे की प्रति न देने पर एमडीडीए को आदेश दिया था कि वह प्रार्थी डा. प्रदीप दत्ता को पचास हजार रुपये मुआवजा दे। इसी मामले में आयोग ने पॉवर कॉरपोरेशन व उत्तराखंड जलसंस्थान के डीम्ड पी.आई.ओ पर भी दस-दस हजार का जुर्माना ठोका था। आयोग के फैसले से असहमत होते हुए एम.डी.डी.ए ने मुख्य सूचना आयुक्त डा. आरएस टोलिया के आदेश के विरूद्ध नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

आयोग की सिंगल बैंच द्वारा फैसला किए जाने के कारण हाईकोर्ट ने आयोग के इस निर्णय को रद कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि आयोग की एकल पीठ का फैसला मान्य नहीं होगा। मुख्य सूचना आयुक्त डा. आरएस टोलिया ने बताया कि आयोग ने मामले की दोबारा सुनवाई करने का फैसला लिया है। अब आयोग की डबल बैंच मामले की सुनवाई करेगी। सुनवाई की तिथि भी निश्चित कर दी गई है। आयोग की ओर से एम.डी.डी.ए व प्रार्थी डा. प्रदीप दत्ता को फिर से नोटिस भेजे गए हैं।

2008 में सुभाष रोड निवासी डा. प्रदीप दत्ता ने सूचना कानून के तहत एम.डी.डी.ए से पैसिफिक होटल के नक्शे की प्रति मांगी थी। एम.डी.डी.ए निश्चित समयावधि में डा. दत्ता को सूचना नहीं दे पाया था। सूचना आयोग से मिली फटकार के बाद एम.डी.डी.ए उपाध्यक्ष ने दो कर्मचारियों को लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था।

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सूचनाएं देने में देरी में सूचना आयुक्त ने हर्जाना ठोका

Posted on 27 March 2010 by admin

देहरादून – राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने सूचनाएं देने में देरी, के दो अलग-अलग मामलों में पौड़ी और यमकेश्वर के खंड शिक्षा अधिकारी (बी.ई.ओ) कार्यालयों पर एक-एक हजार रुपये का हर्जाना ठोका है।

नटराज चौक ऋषिकेश निवासी किशोर मैठाणी ने अप्रैल 09 में जिला शिक्षा अधिकारी (डी.ई.ओ) दफ्तर से कुछ सूचनाएं मांगीं। जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें पौड़ी जिले के सभी बी.ई.ओ को अंतरित कर दिया। जब विभागीय अपील के बावजूद पौड़ी और यमकेश्वर के बी.ई.ओ से समय पर सूचना नहीं मिली तो किशोर मैठाणी ने सूचना आयोग में अलग-अलग अपील कर दी। खंड शिक्षा अधिकारी व विभागीय अपीलीय अधिकारी (जिला शिक्षा अधिकारी)  सूचना आयोग को विलंब का उचित कारण नहीं बता सके।

हालांकि यमकेश्वर के खंड शिक्षा अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने यू.पी.सी से सूचनाएं भेज दी थी लेकिन किशोर मैठाणी का कहना था कि उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने दोनो खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों को विलंब का दोषी मानते हुए आदेश दिया कि वह अपीलार्थी को 10 दिन के भीतर एक-एक हजार रुपये मुआवजा उपलब्ध कराए और इसकी सूचना आयोग को भी दे।

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राज्य सूचना आयुक्त ने जन सूचना अधिकारियों के साथ की बैठक

Posted on 27 March 2010 by admin

सुलतानपुर(उत्तर प्रदेश)– राज्य सूचना आयुक्त सुभाश चन्द्र पाण्डेय आज जिले के सभी विभागों के जन सूचना अधिकारियों के साथ एक  समीक्षा बैठक जिला कलेक्टेट के मीटिंग हाल किया। जिसमें जनता के द्वारा मांगी गई सूचना के बारे में सूचना न मुहैया कराने पर कड़ी फटकार लगायी। अपराह्न एक बजे राज्य सूचना आयुक्त ने प्रेस से मुखातिब हुए ।

प्रेस वार्ता में श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रत्येक विभाग के जन सूचना अधिकारी को 30 दिन के अन्दर मांगी गई सूचनाओं को उपलब्ध कराना आवश्यक होता है। यदि सम्बन्धित विभाग मांगी गई सूचनाओं को 30 दिन के अन्दर उपलग्ध नहीं कराता है तो अपीलीय अधिकारी को इसकी शिकायत कर सकता हैं, अपीलीय अधिकारी के यहॉ से भी यदि 30 दिन के अन्दर सूचना नही उपलब्ध होती है तो राज्य सूचना आयोग को इस प्रकरण पर शिकायत की जा सकती है। पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर सूचना न उपलब्ध कराने के बारे में क्या कोई दण्डात्मक कार्यवाही का विधान है तो श्री पाण्डेय ने बताया कि सूचना न उपलब्ध करवाने पर  जन सूचना अधिकार की धारा 20 के अन्र्तगत सम्बन्धित अधिकारी को रूप्या 250 प्रति दिन के हिसाब और अधिकतम  रू0 25000 तक दण्ड दिया जा सकता है। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि सुलतानपुर जनपद जन सूचना के तहत शिकायत इस समय कुल 1253 वाद राज्य सूचना आयोग में हैं जिसमें ग्राम पंचायत अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को राज्य सूचना आयोग ने नोटिस भेजा है। दण्ड देने का चार चरण निश्चित किया गया है।

प्रथम दृश्टया सम्बन्धित अधिकारी को राज्य सूचना आयोग से नोटिस भेजी जायेगी, दसरे चरण में दण्डित करने की नोटिस भेजी जायेगी, तीसरे चरण में दण्डित करने की सूचना दी जायेगी और अन्त में दण्डादेश पारित कर दिया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जनसूचना अधिकार की उडाई जा रही है धज्जियां

Posted on 23 March 2010 by admin

सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश)- विगत चार माह पहले विकास खण्ड दूबेपुर की ग्राम पंचायत भांई के सम्बन्ध में सूचना अधिकार के तहत इम्तियाज रिजवी सात विन्दुओं पर जानकारी मागीं थी जिसका प्रार्थना पत्र 20 नवम्बर 09 को ग्राम पंचायत सचिव को दिया था। परन्तु आज तक  प्रार्थी को आज तक कोई सूचना नही प्राप्त हो सकी जिसके चलतें श्री रिजवी ने जिला पंचायतराज अधिकारी से जानकारी प्राप्त करने का मन बनाया।

प्रार्थी ने बताया कि जनहित में उठाये गये विन्दूओं  के जबाब न मिलने से प्रार्थी बहुत छुब्ध है। श्री रिजवी ने कहा कि यदि जबाब नही मिला तो मान्नीय अदालत का सहारा लूगां परन्तु ग्राम पंचायत भांई के सम्बन्ध में मागी गई जानकारी प्राप्त करके ही रहूगां।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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आर.टी.आई ,लाल फीताशाही की गिरफ्त में, शीघ्र दूर करने की जरूरत

Posted on 21 March 2010 by admin

लखनऊ – नेशनल आर.टी.आई फोरम द्वारा आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम और विधायकों का दृष्टिकोण विषयक संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए मलिहाबाद के विधायक सिद्धार्थ शंकर ने  कहा कि सूचना का अधिकार कानून लाल फीताशाही की गिरफ्त में है जिसे शीघ्र दूर करने की जरूरत है।

विधायक सिद्धार्थ शंकर, भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ (आई.आई.एम.एल) में नेशनल आरटीआई फोरम  द्वारा आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम और विधायकों का दृष्टिकोण विषयक संगोष्ठी में विचार व्यक्त कर रहे थे। सुल्तानपुर के विधायक अनूप संडा ने बतौर सामाजिक कार्यकर्ता अपने अनुभव बताये। संडा ने कहा कि आर.टी.आई कार्यकर्ताओं को अब भी काफी देर से सूचनाएं हासिल होती हैं। संडा ने सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्यवाही करने की वकालत की।

बांदा के विधायक विवेक सिंह ने कहा कि इस कानून ने सामान्य नागरिकों को वह अधिकार दिलाया है जो पहले सिर्फ सांसदों और विधायकों तक सीमित था। उन्होंने कहा कि निरंकुश राजतंत्र पर नकेल कसने के लिए यह एक उपयोगी जरिया है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को हुक्मरानों के लिए और बाध्यकारी बनाने पर जोर दिया।

नेशनल आर.टी.आई फोरम के अध्यक्ष व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने संगोष्ठी में शामिल प्रतिभागियों को सूचना के अधिकार अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। संगोष्ठी में आर.टी.आई कार्यकर्ता अखिलेश सक्सेना, प्रोजेक्ट विजय के महेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता पूजा सिकेरा समेत कई अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। नेशनल आर.टी.आई फोरम की संयोजक डा. नूतन ठाकुर ने संगोष्ठी में आए सभी लोगो को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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सूचना देने में देरी पर 5000 रुपये क्षतिपूर्ति

Posted on 20 March 2010 by admin

देहरादून (उत्तराखंड)-राज्य सूचना आयोग ने विलंब से सूचनाएं देने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी विकास प्राधिकरण (आईटीडीए)पर 5000 रुपये क्षतिपूर्ति आरोपित  किया है।  आयोग ने आईटीडीए को एक माह के भीतर सूचना प्रार्थी ए. कुमार को क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।

ईसी रोड निवासी ए. कुमार ने  मई 2009 में आईटीडीए के लोक सूचनाधिकारी यानी समन्वयक वित्त एवं प्रशासन से 2007-08 में डेपुटेशन पर आए पीसी, पीसी(तकनीकी), व पीसी(वित्त एवं प्रशासन)के नाम, वेतन व अन्य भत्तों व सुविधाओं के बारे में, उनके रिपोर्टिग ढांचे, व उनके नियुक्ति व रिलीविंक प्रमाण पत्रों की प्रतियों की मांग की। मिली आधी-अधूरी सूचनाओं से असंतुष्ट होकर उन्होंने सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव से विभागीय अपील की। अपील के निस्तारण से असंतुष्ट होकर ए. कुमार ने सूचना आयोग में अपील कर दी।

सुनवाई के दौरान जानकारी हुई कि आईटीडीए में प्रतिनियुक्ति पर आए विनोद कुमार तनेजा को लेकर प्रार्थी को कुछ आपत्ति है। इस पर आयोग ने कहा कि अगर इससे प्रार्थी को कोई हानि हुई है तो वह एनआईसी या आईटीडीए के सक्षम स्तर से शिकायत कर सकते हैं या अदालत की शरण लेकर वहां से राहत की मांग कर सकते हैं। आयोग ने प्रकरण में विलंब का स्पष्ट मामला मानते हुए आईटीडीए को आदेश दिया कि वह एक माह के भीतर प्रार्थी को पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति का भुगतान करे।

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सूचना उपलब्ध न कराने पर सिटी मजिस्ट्रेट ईओ को तलब किया

Posted on 18 March 2010 by admin

हरिद्वार – जन सूचना अधिकार(आईटीआई) के तहत सूचना उपलब्ध न कराने पर मुख्य सूचना आयुक्त आर.एस टोलिया ने पालिका के लोक सूचना अधिकारी (ईओ) बी.एल. आर्य एवं अपीलीय अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट अर्चना गहरवार को नोटिस भेजकर समस्त पत्रावलियों सहित तलब किया है।

आरोप है कि पालिकाध्यक्ष ने चयन समिति के बिना ही वर्ष 2008 में छह कर्मचारियों को प्रोन्नति देकर प्रथम श्रेणी लिपिक और दो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित कर दिया था। कुछ कर्मचारियों ने शासन में इसकी शिकायत भी की थी। शासन के आदेश पर जिलाधिकारी ने जांच कराई और शासन को भेजी रिपोर्ट में प्रोन्नति व नियमित नियुक्तियों को शासनादेश के विरुद्ध करार दिया।

इस जांच के आधार पर सभासद दिनेश जोशी ने ईओ से सूचना अधिकारी के अन्तर्गत प्रोन्नति व नियमितीकरण केे सम्बंध में शासनादेश की प्रति उपलब्ध कराने का आवेदन किया। लेकिन पालिका के लोक सूचना अधिकारी बी.एल. आर्य ने सूचना उपलब्ध नहीं कराई। सभासद ने नगरपालिका की अपीलीय अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट अर्चना गहरवार के समक्ष अपील की। सिटी मजिस्ट्रेट ने तीन दिन में शासनादेश की प्रतियां उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे लेकिन दो माह तक भी ईओ ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद आवेदक राज्य सूचना आयोग में गया और आयोग ने 21 अप्रैल को दोनों को तलब किया है।

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सूचना के अधिकार के लिए टास्क फोर्स – उ. प्र. कांग्रेस कमेटी

Posted on 21 February 2010 by admin

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