देहरादून -राज्य सूचना आयोग ने प्रदेश के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को सूचनाधिकार की प्रथम अपील की सुनवाई न्यायालय की कार्यवाही की तरह करने के निर्देश दिए हैं। विभागीय अपील की सुनवाई के तौर तरीकों से खफा मुख्य सूचना आयुक्त डा. आर.एस टोलिया ने इस मामले में सचिव सामान्य प्रशासन को प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों आदि को निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं।
सूचनाधिकार के एक प्रकरण में आयोग ने कहा है कि इन अधिकारियों द्वारा जिस तरह अन्य अधिनियमों के तहत वादों व अपीलों की सुनवाई होती है, उसी तरह सार्वजनिक वाद सूची नोटिस बोर्ड पर समय व दिनांक तय करते हुए प्रदर्शित की जाए।
दून निवासी एक व्यक्ति ने अगस्त 2009 में जिला सूचना अधिकारी कार्यालय से पिछले साल डी.एम कार्यालय के स्टाफ के हड़ताल व उसमें शामिल कर्मियों के बारे में अनेक जानकारियां मांगी। उन्होंने तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर रोक से जुड़ी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की ओर से की गई अब तक की कार्रवाई और समाचार पत्रों, चैनलों को दिए गए निर्देशों के बारे में भी जानकारी मांगी। जब उन्हें तंबाकू संबंधी सूचना नहीं मिली तो उन्होंने जिलाधिकारी से प्रथम अपील की। निस्तारण से असंतुष्ट होकर उन्होंने सूचना आयोग में अपील कर दी। सुनवाई का दिन तय हो जाने के बावजूद उन्हें सूचना नहीं मिली।
आयोग ने इस मामले में प्रथम विभागीय अपील की सुनवाई के प्रति असंतोष व्यक्त किया और कहा कि जब कार्यवाही जारी हो तो लोक सूचना अधिकारी को इसकी जानकारी अपीलार्थी को भी देनी चाहिए। आयोग ने विभागीय अपील अधिकारी यानी जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह अपने कोर्ट की कार्यवाही की तरह गंभीरता से सूचना अधिकार की प्रथम अपील की सुनवाई करें।